Give birth a man/women
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अब ये भी कोई और करेगा क्या ??
मतलब की हद हो रही अब
क्या इतनी भी काबिलियत
न रही क्या हममें अब?-
तुझको चलना होगा,
जीवन कही भी ठहरता नही है,
आंधी तूफान से डरता नही है,
तू न चलेगा तो चल देंगी रहे,
मंजिल को तरसेगी तेरी निगाहे,
तुझको चलाना होगा।
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यही "वफ़ा का सिला" है, तो कोई बात नही।
ये "दर्द" तुमने दिया है , तो कोई बात नही ।
और यही बहोत है कि , तुम देखते हो साहिल से
की सफ़ीना डूब रहा है ।
कोई बात नही तुम देख तो रहे हो, सफ़ीना डूब रहा है ।
तुम देख तो रहे हो ।
और "तुम्ही ने आईनाए" दिल, मेरा सजाया था।
अब तुम्ही ने तोड़ दिया, तो कोई बात नही ।।
और अंतिम बात, सुन लो प्यारे !!
"मजाल" किसकी है, जो कहे मुझको "दीवाना"
ये नाम तुमने रखा है, तो कोई बात नही।-
अफसोश
पसन्द नही आ रहा ,खुद को खुद का किस्सा ।
चल रहा हु ,बनकर समाज का एक हिस्सा।
कर देता हूं कभी-कभी राग ।
फिर पछताता हु, तो रह कर बन जाती है ,वो बात ।
रोकर स्वीकार भी लेता ,हूं आपनी गलतियां ।
परन्तु बनकर रह जाती वो, अब तो वो भी बन जाता समय।
क्या नही है ? कोई पथ प्रदर्शक ,की बार-बार बनना पड़ेगा।
आलोचनाओं का दर्शक।
-मानस
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जानबूझ कर, गलत "निर्णय" लेने को
"लाचारी" नही , "मक्कारी" कहते है ।
लाचार का इलाज है, "सहायता"।
और "मक्कार" का इलाज है, "सज़ा"।।
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दुःख का असर, "तुम" पर होता है
लेकिन "तुम्हारा" एक ऐसा 'कोना' है
जहाँ दुःख नही पहुँच सकता ।
उस "कोने" को याद रखो बस ।
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