-: मेरा गाँव निम्बाज :-
चारो दिशाओ में गाँव के चार दरवाजा,
घुमने जरूर आना मेरे गाँव निम्बाज में,
बस स्टेण्ड पर मिलते किशोर के समोसे,
मुरली जी पोरवाड़ दम था गायकी में,
धन्य है गाँव रांका परिवार के दान से,
खेलते भगवान आदिनाथ स्टेडियम में,
घर का राशन भोम जी की दुकान से, (MCB)
स्वादिष्ट अचार की केरी निम्बाज बाग में,
चेतनगिरीजी की समाधी में मिटे रोग सारे,
आनन्द आता है हिरजी हलवाई के मावा में,
क्रांतिकारी माधुरामजी को जाने जग में सारे,
लगता है बैलो का मैला मैला के मैदान में,
ढ़गलूजी के मिर्ची बड़ा का स्वाद सबसे न्यारा,
जीवित समाधियाँ के दर्शन मिले निम्बाज में,
कुम्बाजी मन्दिर कबुतर स्तम्भ है सबसे न्यारा,
मिठे-मिठे पेमली बेर मिले निम्बाज की धरा में,
प्राचीन स्थल मकर मण्डी माताजी का मन्दिर,
विदेशी यात्री आते है मेरे गाँव निम्बाज में,
जाना जाता है पावन नगरी निम्बाज के नाम से,
राघवदासजी महाराज उपकारी थे प्राणी सेवा में,
-माणक चन्द बबीवाल(MCB)
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