Poetry - Papa Ki Pari
मां की परेशानी थोड़ी बढ़ी होगी,
पापा की परी जो थोड़ी बढ़ी होगी।
हर माहोल को रोशन कर दें
हर रिश्ते को प्रकाशित कर दे,
चांद के रोशनी जैसी, सुर्य सी प्रकाशित
वो लड़की नहीं, पापा की परी ही रहेंगी।
अपने पिता की कोई ख्वाहिश न बाकी रहेंगी,
जब वो बेटा बनकर अपने पैरों पर खड़ी होगी।
उसकी विदाई के वक़्त आंसु न बहाना
वो लड़की उस नये घर को भी रोशन कर देंगी,
एक एक करके उस नये घर के भी सपने पूरा करेंगी
वो लड़की आख़री सांस तक पापा की परी ही रहेंगी।
मां की परेशानी तब कभी ना बढ़ेगी,
जब पापा की परी, मां की लाडली बनेंगी।
- RK Maali
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2 MAY 2019 AT 15:02