Maali Official 79  
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जिस दिन तुम्हें भुल जाऊंगा उस दिन लिखना छोड़ दूंगा... k
Joined 19 January 2019


जिस दिन तुम्हें भुल जाऊंगा उस दिन लिखना छोड़ दूंगा... k
Joined 19 January 2019
2 JAN 2023 AT 0:01

Roz ham ek safar pe jaate hain, Aur tanhayi dhoondh laate hain..

- vairagi

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22 JAN 2021 AT 10:10

× शायद अच्छा ही हुआ था उस वक्त इज़हार न हो सका नहीं तो आंसुओं के सेलाब में ना जाने किसकी तबाही होती, टुटे दिल के टुकड़ों पर से कितने लोग गुजरते, मेरे हालातो पर ना जाने कितने लोग हंसते, मेरी बदनामी से कितनो का घर बसता। उस रात मेरे पैरों ने बस मेरा साथ दिया बाकी जान तो उसके घर के बाहर खड़ी, उसका बाहर निकलने का इंतजार कर रही थी।
× वैसे तो Sorry मांग चुका था, इस पागलपंती के लिए पर हकीकत कैसे समझाता कि इस पागलपन को चार साल तक आग लगया है, सिने में दबाये बैठा था। इज़हार हो चुका था, उसने जवाब में सब-कुछ भुलाने को कह दिया है। आखिर मेरा दिल लगाने का मकसद मुक्कमल हो चुका है,आखिर जिंदगी में करना भी तो क्या....
लिखकर थोड़ी कोई ग्रंथ बनाना है,
मुझे तो बस मेहबूब के नाम पर दो-चार ग़ज़लें लिखकर अनंत हो जाना हैं। - RK Maali

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22 JAN 2021 AT 10:08

#part2 TiTlE - दो-चार ग़ज़लें; × इस चार साल के सफर में मेरी एक जान को कई दफा जाते देखा है, कभी उनकी मदहोश अदाओं की वजह से, कभी जुल्फों से खेलते-बाधते हुए, कभी उसकी हंसी मे डुबकर, तो कभी आंखों से घायल होकर। इस नादान बेकसूर दिल ने एक मेहबूब के द्वारा कत्ल को रोज सहा है ओर सजा भी खुद को दी है।
× एक वक़्त आया जहां मेरी मोहब्बत सरेआम हो गई, पर फर्क किसे पड़ता है उसे भी रकीब का साथ मिल चुका है। भला एक लेखक को इस से ज्यादा क्या चाहिए होगा एक रूठी ग़ज़ल लिखने के लिए जो उसके मरने के बाद भी अमर हो जाये, शायद लेखक को जमाना भुला दे लेकिन उसकी मेहबूब को लोग कभी न भुलेगे।
× वो वक़्त आ गया है जहां मेरी ग़ज़लों को मुकाम मिलना तय था, मेरी सच्ची मोहब्बत ओर उसकी बेपरवाही कोई कामयाब क़िताब के पन्ने भरने वाली है। इज़हार का समय बड़ा हसीन था, सांसें भी कमबख्त उसी का नाम लिये जा रही थी, मानों शरीर का हर एक अंग उससे मोहब्बत का इज़हार करना चाहता है। वैसे तो मैं आख़री 10 Minutes के सफ़र में उसके सामने बैठा था लेकिन जवाब जानते हुए भी सवाल से लड़ रहा था। इतने में उस चांद का घर आ चुका था, वो दूर जा रही है, मानो उस वक्त मेरी रूह मुझसे जुदा हो रही हो। मैंने भी रोकने की कोई कोशिश नहीं की क्योंकि बदनामी सिर्फ मुझे चाहिए थी। हां अगर उस वक्त मेरे दिल के लाखों टुकड़े करके देख लेती वो तो हर टुकड़े पर उसकी तसवीर मिलती।

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22 JAN 2021 AT 10:07

अब इस अजनबी से मुझे इसहद तक दिल में बसाना था कि इज़हार के वक्त दिल टुटने पर सिर्फ ग़ज़लों की बरसात हो, तब दिन में काली रात छा जाये, सूरज का वजूद खत्म हो जाये, बदनामी का दौर चल पड़े, जिंदगी कांटों की सया पर बिते, आशियाना भी लापता हो जाये, गुज़ारा भुख-प्यास सब उसकी यादों से पूरी हो, इसकदर टुटकर मुझे उससे बेइंतहा मोहब्बत करनी थी। आसान नहीं उसे इसकदर टुटकर चाहना ओर करीब भी न जाना, डरता रहा पुरे सफर में कही उसे भी इश्क़ न हो जाये, हमेशा पास जाकर दूर चला जाता था। केवल अपनी ग़ज़लों के लिए जिसे सिर्फ एक टूटा दिल पन्नों पर उतार सकता है।
× करीब से गुजर कर मेरा इम्तिहान लिया करती है वो चांद का टुकड़ा, हम भी दूर से देखकर नजरें फेर लेते है, अपने प्यार का कुछ इस तरह भी इज़हार किया है, पर वो पगली कभी न समझ पायी, समझें भी भला तो कैसे इस पागल आशिक की मेहबूब जो ठहरी। - RK maali
Part 2 .. in profile news feed

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22 JAN 2021 AT 10:05

#part1 #shortstory उनवान: दो-चार ग़ज़लें ; × सुना था मैंने, टुटा दिल ओर सच्ची जुदाई का गम अक्सर कुछ बड़ा करने में हाथ रखता है इसलिए मैंने कुछ ऐसा किया जो अंगारों पर नंगे पांव चलने जैसा था, वो भी सिर्फ 'मेहबूब' के नाम पर मशहूर हो जाये ऐसी दो-चार ग़ज़लें लिखने का मक़सद बनाकर। जिसके लिए मुझे एक चांद से भी ज्यादा खुबसुरत महबूब के साथ दिल लगाना, यह जानते हुए की इस प्यार का जवाब केवल उसकी यादें ही रहेगी।
× वैसे तो मोहल रंगीन था, आंखों ने कई नजारें देख लिये थे पर सबसे क़ातिल आंखें अभी तक नहीं दिखी जो सिधा सिने पर घाव करे। ऐसे में देरी से दो लड़कियां दरवाज़े से अंदर आती है हल्का सा दिल तेज धड़कने लगता है जैसे कोई ग़ज़ल को उसकी पहली व आख़री पंक्तियां मिल गयी हो। मेरी नजरें उठी ही थी उस तरफ की, हवा के झोंके ने उसकी जुल्फों को उड़ाकर चेहरे पर ला दिया। यह पल काफी था मेरी ग़ज़लों की नीव रखने के लिए, वो दाहिने तरफ खड़ी लड़की अपने आप में कुदरत के करिश्में को साबित कर रहीं थी, उसके शबनमी होंठों पर बना तिल मेरा धीरे-धीरे कत्ल कर रहा था।
× इस अकेले दिल को जलाने, तडपाने ओर तन्हा करने के लिए ऐसी ही मेहबूब की जरूरत थी, जिसे कभी अपना न बना सके क्योंकि में धरती के समान बनना चाहता हूं वो चांद ठहरी ओर धरती का चांद को पाना नामुमकिन है।

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12 JAN 2021 AT 17:54

दोस्त अपने भी कहाँ अब जानते हैं ' राम ' को
हो गई है लड़कियाँ भी कुछ फिरंगन की तरह

सोचने से ही फ़क़त कतरा रहे है हम जिसे
वो ही ढब अपना रहे हैं लोग फैशन की तरह

©झाला

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11 NOV 2020 AT 10:24

मैं उसपे मरता , ये जग जानता
पर वो मेरे लिए नहीं मरता

कभी इस फ़ूल पे, कभी उस फ़ूल पे
यार मेरा तितलियां वरगा
- @jaani777

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10 SEP 2020 AT 3:53

दुआ है मेरी रब से
मैं चाहें यादों में जागता रहूं, तुम चैन से सोती रहना

मैं चाहें इश्क़ करके रोता रहूं, तुम ताउम्र हंसती रहना
दुआ है मेरी रब से

माली 3:51 AM

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5 SEP 2020 AT 11:16

तेरी रूह को, जिस्म से जुदा कर दूंगा, इजाजत दे
इतना इश्क़ करूंगा तुझसे, तुझको पागल कर दूंगा
- माली

Full Ghazal In Caption...

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12 JUL 2020 AT 0:36

तुने तो बस दिल तोड़ दिया...

तुझे क्या पता ,
मैं कहां कहां जाकर दिल के टुकड़ों को समेटा है

तुझे क्या पता ,
मैंने एक जिंदा शख़्स को कब्र से निकाला है।
_ maali

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