M S Farooqui   (✍.... M S Farooqui)
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Joined 31 October 2018


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14 FEB 2022 AT 10:20

क्या दर-ओ-दीवार क्या दिल में क़ैद
ये जो तेरी याद है जुनून-ऐ-इश्क़ है
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11 FEB 2022 AT 19:03

यूं बेसबब तन्हाई के साए
दर्द-ओ-ऱजों ग़म से भरा दिल
मैं उसकी यादों में हुआ तन्हा
की "उसकी यादों की महक की ख़ुशबू
मुझ से यूं बेसबब तन्हाई की वज़ह पुछती है



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4 FEB 2022 AT 10:45

सुबह सुबह तेरी याद

रात की तन्हाई मैं यूं जागते हुएं
ख़ुद से तेरी बातें करते हुएं
सारे दर्दों को भूलाकर
तुझको अपने पास महसूस करते हुएं
' अभी देर रात को सोया ही था
के फिर " सुबह-सुबह तेरी याद

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11 JAN 2022 AT 19:34

कागज़ की एक कश्ती हो
बारिश का बहता पानी हो

फिर मौजों की रवानी हो
अनसुनी परियों की कहानी हो

बातें हसींन पुरानी हो
हर चहरे़ पर नुरानी हो

दरख़्त की हर साख़ पर जवानी हो
पतझड़ के मौसम की रवानी हो

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5 JAN 2022 AT 21:48

किसी शाम मुझें फिर उदासी घेर लेंगी
हर उदासी की वजह ' फक्त तुम नहीं जाना

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4 JAN 2022 AT 20:56

मुझको तन्हाई खा गई और विरानीया ले डूबी


~ M S Farooqui

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2 JAN 2022 AT 10:27

तेरे ख़्वाब कितने हसींन है
इसमें तू पल दो के लिए मेरा है
मुझ पर हक सिर्फ़ तेरा है
मेरी निंदो पर तेरे ख़्वाबों का पहरा है
हाय , तेरें पास होने का अहसास कितना गहरा है
इस पल में हम दोनों जी रहें हैं
मोहब्बत के हसीं लम्हों को महसूस कर रहें है
कभी जो ये ख़्वाब टुट जाएं
अचानक मेरी नींद खुल जाएं
तुम मेरे पास आ जाना
मैं जब नींद से उठूंगा तो ' ये तन्हाई मुझको़ डसेंगीं

तेरे ख़्वाब कितने हसींन है
इसमें तू पल दो के लिए मेरा है

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30 DEC 2021 AT 19:31

तुम कोई ख़्वाब हो या हकीकत
मेरे पास हो या मुझ से दूर
मैं तुम्हें खुद में महसूस करता हूं

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8 DEC 2021 AT 12:30



मुझें लगाता है
जहां प्रेम हो "
वहां सिर्फ प्रेम ही होना चाहिए।
पैसा , दौलत , शोह़रत , इज्ज़त ,
समाज , लोग नहीं होना चाहिए

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8 DEC 2021 AT 12:22

किसी के हिस्से में आई अगर खुशीया तो हैरत क्यूं
किसी ने गुजरा है उम्र का एक तवील हिस्सा ग़मो में रह कर

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