अल्फ़ाज लिखूँ या हमऐ राज लिखूँ !
अल्फ़ाज लिखूँ या हमऐ राज लिखूँ !!
डूब तो रहा हूँ आज भी, फिर मैं क्या काज लिखूँ !!!
लिखा तो उन्हें आप लिखा, फिर कैसे खुद पे अभिश्राप लिखूँ !!!!
अल्फ़ाज लिखूँ या हमऐ राज लिखूँ !!
डूब तो रहा हूँ आज भी, फिर मैं क्या काज लिखूँ !!!!-
सफ़र भी क्या खूब निकला !
सफ़र भी क्या खूब निकला ! !
जब लोग घर को निकले
तब हम घर से निकल पड़े!!
जब सूरज ढ़ला तो हम चल पड़े,
रात गुजरेगी सफर में,
सुबह का कोई ठिकाना नहीं,
वक़्त कट रहा बस यादों का सहारा रहा,
सफ़र भी क्या खूब निकला !
सफ़र भी क्या खूब निकला !
लोग बीते वर्ष का गम भुला रहे,
हम ट्रेन की सीट पे रात बिता रहे,
लोग नये वर्ष का जश्न मनाएंगे,
हम परिंदो की तरह ठिकाना ढूँढेंगे.......
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हमने ग़ौर से देखा भी नही उन्हें !
हमने ग़ौर से देखा भी नही उन्हें !!
और बद्नाम इतने हुए कि,
हमारे बगैर किसी ने देखा नही उन्हें !!!
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दुआ करो मौत आ जाये !
दुआ करो मौत आ जाये !!
तू मिल तो सकती नही,
मेरी कब्र बस तेरा फूल आ जाये !!!-
खोखला हो रहे यादों से !
खोखला हो रहे यादों से !!
इलतिला तो करो उन्हें ,
अपनी यादों को हमारे जहन से,
महफूज़ ले जाएं !!!
वक्त नही अब औऱ !
वक्त नही अब औऱ !!
हम उन्हें कैसे बतलाएँ,
इलतिला करो उन्हें अपनी यादों को
महफूज़ ले जाएं !!!
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सुना है "मेरी जां" अंजानों के सपनों में जाने लगी है !
सुना है "मेरी जां" अंजानों के सपनों में जाने लगी है !!
रातों को उसे नींद भी आने लगी है ,
उठ जाती है जल्दी, अपनों से शर्माने लगी है ,
खयाल भी आता है बाप का,अब सब छुपाने लगी है,
सुना है "मेरी जां" बीते लम्हे भुलाने लगी है !
सुना है "मेरी जां" बीते लम्हे भुलाने लगी है !!
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