Ⓜ N@sim   (नसीम बिन अंसार ✍️)
2.9k Followers 0 Following

read more
Joined 3 August 2018


read more
Joined 3 August 2018
18 APR AT 22:43


हर बार की तरह यह दौर भी गुजर गया,
राह का थका था आते ही ठहर गया,

इक उम्र गुज़ार दी मैंने ज़ुस्तज़ू ए हयात में,
खैर! जिंदो की दुनिया में कोई गुमशुदा हो गया,

नए सफ़र में हमसफ़र ऐसे भी मिले,
वो भी सो रहे थे , मैं भी सो गया,

अजीब सी ख़मोशी है हमारे नए मुहल्ले में,
कोई कुछ कहता नहीं क्या! मैं सच में मर गया,

जीकर मरने का बड़ा अजीब फलसफा है,
मंज़िल मौत है ‌ तो जिंदगी रस्ता ‌ है,

इक आलिम की बगल में शराबी का आशियाना था,
हाल ए बेबसी देख मैं खिलखिला कर हंस दिया,

जिसके खातिर भटके जिंदगी भर मारे मारे,
अब उस पेट का हाज़मा अच्छा हो गया,

अमीरी ग़ुरबत के कंधों पर, गरीबी अमीरी के क़दमों पर,
अब ना कंधे रहे ना क़दम सब खाक़ हो गया।

-


5 APR AT 4:42

मुझ सा नासमझ कोई गुनाहगार ही नहीं
तेरे सिवा मेरा कोई मददगार ही नहीं,

बख़्शी रहमतें हर आयात में बेहिसाब
कुरआन के सिवा सच्चा रहवर ही नहीं,

तोहफा लाए नमाज़ का सुन्नतें भी दी
महबूब के लिए ऐसी मुहब्बत है कहीं,

नेअमतें बेशुमार, सब्र भी अता किया
रमज़ान जैसा अफज़ल महीना ही नहीं,

शर्मशार, शुक्रगुज़ार और तलबगार भी हूँ
भला तेरे सिवा क़रीम ओ ग़नी ही नहीं,

शुक्र है तेरा मुझे इस्लाम से नवाज़ा
इससे खूबसूरत कोई दीन ही नहीं,

अपने आशिक़ो में मेरा भी नाम लिख दे
ज़ैनब इससे भला कोई मुकद्दर ही नहीं।

-


4 APR AT 23:25

शुक्रगुजार हूं तेरा जो मुझे तूने अता किया
दिलों को जानने वाले, बंदगी का जो सिला दिया,

मेरे सीने में सिवा तेरे कोई जुस्तजू ही नहीं
तेरी अज़मत की क़सम कोई आरज़ू ही नहीं,

कुर्बान जाऊं तेरी नेअमतों के सदके या रब
केसे करूं शुकरान तेरी रहमतों का या रब,

गमख्वार है तू , दिलदार है, रहमान भी तू
तड़पते दिलों की ठंडक मददगार भी तू,

हाल ए बेबसी पे जो तूने क़रम किया
ऐ मुश्किलकुशा रहम जो तूने किया,

तपिश ए आफताब से मैं जब टूटा नहीं
अता किया ये रमज़ां जिसमे दुश्वारी ही नहीं,

तेरे इश्क़ में तन्हाई का अहसास ही नहीं
अनकरीब तेरे आशिक़ों में कोई तन्हा ही नहीं,

-


24 MAR AT 14:06

शाहिद है ख़ाक, लबरेज़ ए लहू,
अनकरीब क़ातिल अंजाम होगा,

बहते हर इक क़तरे की कसम,
मक़तल पे ही मेरा इंसाफ़ होगा,
~ZE✍️

-


24 MAR AT 13:50

ज़ुल्म ए ज़ालिम शिक़वा ही नहीं,
ख़्वाबों की ताबीर में दूज़ा ही नहीं,

ऐ अक्सा तेरी अज़मत को सलाम,
ज़ाहिदों को मेरा आखिरी पैग़ाम,

वजूद से ही सही ख़ाक ए फलस्तीं,
सुर्ख़ आब से दामन तेरा सब्ज़ होगा,
~NA✍️

-


23 MAR AT 19:21

दो हर्फ़ो में ही वो एहसास लिख जाऊंगा,
तू शरीक ना हुई तो क्या गम, मैं हयात लिख जाऊंगा,
गर किया तेरी यादों ने बदनाम, शायर कहकर,
खबरदार ! मैं कलम तोड़ जाऊंगा।

-


23 MAR AT 19:08

फना है दुनियां आख़िर बक़ा क्या है,
ख़ाक से इब्तिदा है ख़ाक में इंतिहा है।

-


2 DEC 2023 AT 20:19

साज भी बदले सुर भी बदले,
मोसिकी के सारे दस्तूर बदले,
ऐ दिल तार तड़प के बोले,
अभी भी नगमें वही वही है,

-


30 NOV 2023 AT 21:26

चाक कर सीना इक आह निकली,
शब ए हिज्र उफ्फ यह महताब,
बेबसी पे अरमानों की चीख़ निकली,

-


16 JAN 2023 AT 21:58

रोशन है वो दिल जिसमें रोशनी तेरी
उफ् बू ए नसीम जिसमें खुशबू तेरी,

दरिया की मोज़े कश्मकश में है,
जब लहर उठती है जुल्फ तेरी,

दुनिया ए दीद की तमन्ना न रही,
नज़जारा ए यार का नज़र यार तेरी,

लरज़ उठते है सीनों में दफ़न कल्ब़,
सिम्त उठती है नज़ाकत भरी निगाह तेरी,

बुलबुल ए चमन के नग़मों की कसम,
ख़्वाबों में भी गूंजती है निदां तेरी,

तारिक़ी से निकल मुनव्वर हो गया हूं,
चमक आफ़ताब सी वो दमक तेरी,

गुल सुर्ख़ पर जमां शबनमी क़तरे,
हसद पर आमादा है लबों पर तेरी,

-


Fetching Ⓜ N@sim Quotes