जब महबूब सामने हो और उसे देखने से भी सब्र ना आए उसे बेबसी कहते हैं।जाने इस बेबसी को सब्र कब आए।
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Birthda... read more
इश्क़ है या इबादत दोनो कहां एक दूजे से जुदा हैं,मेरा महबूब मेरी पूजा है,मेरा महबूब मेरा खुदा है।
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तुमने माफ किया कई दफा मुझको, मैंने भी हर बात तुम्हारी रखी है।तुम जिंदगी का आईना हो,मैंने तस्वीर तुम्हारी दिल में लगा रखी हैं।
❤️राज❤️-
कभी हम भी थे तेरे रूबरू तुझे याद हो न हो,कभी हम भी थे तेरे जुस्तजू तुझे याद हो ना हो।तेरी सुर्ख आंखें देखकर मेरी आंख भी भर आई थी,तुझे याद हो ना हो।कभी हम भी थे तुझ से हुबहू तुझे याद हो ना हो।
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जुदा होकर ही लिखते हैं, मिलन के बाद तो जैसे अल्फाज़ रूठ जाते हैं।मोहब्बत मिलन का नहीं जुदाई का फ़साना है।
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मेरे अंदर की शायरा जिंदा न होती,गर उनसे मोहब्बत ना होती।पहली मुलाकात यादगार न होती,गर रूह ने रूह को दस्तक न दी होती।।।
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वक्त बेवक्त धड़कता है ये दिल,कुछ कहना भी चाहे तो चुप रहता है ये दिल।उसके आगोश में आने को तरसता है ये दिल,कभी पागल कभी दीवाना तो कभी ज़ालिम है ये दिल।।।
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मुलाकातों का वक्त मुकर्रर न हुआ,वो शक्स कभी मेरे रूबरू ना हुआ।ये तो मैं थी जो तकती रही उसे ख्वाबों में,वरना मिलना तो ख्वाबों में भी मुमकिन न हुआ।।।
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