दोस्त कभी गद्दार नहीं होते
जो गद्दार हो वो कभी दोस्त नहीं हो सकते-
एक सवाल गूँज रहा है मेरे जहन में
मोहब्बत में मरे आशिकों की लाश कैसे चलती है...-
कौन कहता है मोहब्बत एक बार होती है
हमें तो मोहब्बत बार बार होती है
पूछा किसने मुझसे कि ये मसला क्या है
मेरा महबूब है वो जो मालिक है इस दिल का
वो जब भी याद आए उसी से हर बार होती है-
दो लम्हें हमेशा यादगार रहेंगे मेरी जिंदगी के
एक तेरे आने की खुशी और दूजा तेरे जाने का गम
कोई शिकायत नहीं करेंगे तुमसे
गुजार लेंगे जिंदगी हमारी यादों के संग-
तुम तक ही है सब रास्ते मेरे
तुम ही मेरी मंजिल हो
तुमसे ही है दुनिया मेरी
तुमसे ही सब कुछ हासिल हो-
इस बार होली होली नहीं
रंग की पुड़िया भी मैने खोली नहीं
कैसे लगा दूँ मैं रंग भी किसी को
होली मुबारक भी मुझे वो बोली नहीं-
उम्र नहीं है मगर तजुर्बा बड़ा पाया है
जिसको भी शिद्दत से चाहा उसने ही ठुकराया है
अपनी फूटी किस्मत लेकर जाये भी तो कहाँ
जहाँ पर गए वहाँ सबने उपहास बनाया है-
कुदरत की ये खामोशी
कहना चाहती है जैसे कि
नहीं रही अब पहले जैसी
वक्त की ठोकर खाते खाते
धूप वर्षा से तुमको बचाते
हर हाल में रहा था डटके
लग चले अब उम्र के झटके
मुझे गिरा दो या हटवा दो
या दोबारा से बनवादो
मुझसे किसी को हानि न हो
बस कलंक से बचा लो-