m.k_ Official_36   (m.k_official_36)
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❣️❤️MAHADEV ❤️❣️
Joined 8 July 2020


❣️❤️MAHADEV ❤️❣️
Joined 8 July 2020
5 APR AT 7:07

दुनिया पूछे जाति हमसे, मानव मेरी जात है
दिखती है अब समता यहां पर, ये दिखावे की सौगात है

हमने देखा हमने पाया, झेले बुरे व्यवहार भी
थके हारे हैं इतने में बस, सुने हैं अत्याचार भी

टूटे न जाने कितने सपने, कितनी टूटी जंजीरे हैं
क्या हुआ था? क्या हो रहा?,न कोई इसकी तस्वीरें हैं

छूआछूत और भेदभाव, आज भी दिखता रहता हैं
हम सब समान है ये बस, चुनाव में ही लगता है

पिछड़े पड़े है गांव आज भी, घर घर की यही कहानी है
ऊंची जाति से है सब कुछ, छोटी जाति दब जाती हैं

पात्र अपने अलग ही रखना, मंदिर में तुम पैर न रखना
बैठा है जो ऊंची जात का, उसके बराबर तुम न बैठना

कैसा है ब्राह्मण कोई, मांस मदिरा सेवन कर जाए
वो किस बात का है क्षत्रिय, जो महिला बच्चों पर हाथ उठाए

जो आवाज़ उठाए वो मिट जाए, मिल न पाए गवाह कोई
डर डर कर ही रह जाते है, साथ भी न दे पाए कोई

कब तक चलेगा ये सब आडंबर, कब तक सोएगा इंसान
कब तक रहेगी ये सीमाएं, कब तक रहेगा अंधा विधान

संविधान में सब है बराबर, सबको मिले समान अधिकार
कैसे मिलेगा सबको न्याय, जब तक रहेगा भ्रष्टाचार

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4 APR AT 12:39

मत कर जलील इतना
बदलने पर मजबूर हो जाऊं
दूर कही चला जाऊ तुझसे
ढूंढने पर भी न मिल पाऊं

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24 APR 2023 AT 8:18

डर नहीं मुझे ए जिंदगी
तू इम्तिहान हज़ार ले ले
बार बार हार जाऊं
हो सकता है
हर बार हार जाऊं
होने नहीं दूंगा

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22 APR 2023 AT 5:08

महफिल का शौकीन था
अकेला करके दिखाया है
हर एक खुशी को गम से
ढक कर दिखाया है
खुद से ज्यादा भरोसा था जिन पर
उन्होंने ही भरोसा तोड़कर दिखाया है

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22 APR 2023 AT 4:47

एक दर्द है सीने में
जो सबसे छुपाना है
कुछ दिन गुजर जाए
फिर जन्नत को जाना है

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9 FEB 2023 AT 6:44

बस ये दर्द आखरी हो जाए
बस ये बात आखरी हो जाए
नहीं सुलझ रही उलझने मेरी
अब बस ये रात आखरी हो जाए

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9 FEB 2023 AT 6:23

जानें क्यों खफा है नींद मुझसे
लाख कोशिशों से भी मुड़कर नही आ रही

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9 FEB 2023 AT 6:19

रात गुजार गई
सवेरा हो गया
चांद जागा रात भर
वो भी सो गया
सूरज की किरणे
उजाला बिखेर रही चारों ओर
तारों को भी नींद आ गई
बस मुझे नींद नहीं है

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28 OCT 2022 AT 15:02

आखिर क्यों ऐसा हूं ?
न किसी की सुनता हूं
न किसी को सुनाता हूं
अपनों के है बीच में
अजनबी है जाता हूं ?

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28 OCT 2022 AT 14:57

हम टूट चुके अब महफ़िल में
रंग नहीं ला पाएंगे
न खुद हम खुश रह पाएंगे
न सबको खुश रख पाएंगे

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