अब यूं ही किस्मतों का पलटता है पासा
कभी हमने ग़म को कभी ग़म ने हमको है तलाशा-
-Rumi
तू हँस भी सकता है मुस्कुरा भी सकता है
और शामें रंगीं सजा भी सकता है
पर क्या है ना ये तेरी ग़फ़लतों का तमाशा
एक जलता दिया बुझा भी सकता है-
शर्द शोलों की जमाअ़त ले कर
आग बरसाए वो क़यामत ले कर
मंज़िलें ख़ुद क़दमों में गिरें
चल पड़ा वो बुज़ुर्गों की हिमायत ले कर-
एक ज़रा सी बात पर जो तुम मुकर बैठे थे
अब हज़ारों मिन्नतें भी हमको मना ना पाएंगी-
ये तेरी कश्ती है, मेरा सहारा कैसे
और दरिया के दीवाने को किनारा कैसे
दिल की धड़कन ही गवाही देती हैं अब
जो मंज़िल मुझे ले जाये वो सितारा कैसे
अब कहाँ ग़म है जो ख़ुद के ना रहे हम
और जो ख़ुद नहीं अपने, कोई और हमारा कैसे
एक दफ़ा जल भी गए, राख हुए, मौत भी आई
अब वही हो फिर से दुबारा कैसे-
अब वो जज़्बात कहाँ से लाऊँ
पहले वाले अल्फ़ाज़ कहाँ से लाऊँ
इश्क़ रगों से हो चला है ख़तम
मुमताज़ की ख़िदमत में ताज कहाँ से लाऊँ-
जैसे पास बैठे हो तुम, तुम्हीं से बात कर रहा हूँ
इजाज़त तुम्हीं से लेकर, तुम्हीं को याद कर रहा हूँ-
जब शमशीरें लहराएंगी
मैं छोड़ मोहब्बत करने तो ना आऊंगा
जब टूटेंगे भरम झूठे खुदाओं के
मैं उस ओर इबादत करने तो ना आऊंगा
एक बार जो जंग छिड़ जाएगी
मैं लौट तेरी आँखों में मरने तो ना आऊंगा
अब जंग ख़तम होगी साँसों पर मेरी
मैं लौट मोहब्बत करने तो ना आऊंगा-