M.K. Chandel   (©M.k....)
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Joined 26 November 2021


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Joined 26 November 2021
25 MAR AT 13:35

अब ज़माने बदल गए, रंगों की बात भी,
पुरानी होली की यादों में खो गई कल की रात थी।

जब चाहे भले गुलाल से नफ़रत थी, पर
दिलों में प्रेम की बात थी....

पुराने जमाने में, रंग बिरंगी धारा,
दिलों को मिलाती थी, और खुशियों के किनारे लाती थी।
पर आज, छेड़छाड़ का नशा, उस प्रेम को भुला देता है,
दिल में छुपा कर भी कई दर्द ,हर इंसा मुस्कुरा देता है....

तब होली के रंग, प्यार के प्रतीक थे,
तब वो भांग की मस्ती में भी , प्रेम के ही गीत थे।
पर आज लगता की होली का, असली रंग खो गया है,
क्योंकि दिखावा और अश्लीलता ने,जो अब
हमें modern होने का Tag जो दिया है।।

अब सच में ज़माने बदल गए, तो रंगों की बात भी,
पुरानी होली की यादों में, खो गई कल की रात थी।।
- ©M.k....

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15 MAR AT 8:32

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14 MAR AT 12:28


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3 DEC 2023 AT 1:48

एक तरफा प्यार.......

एक समय था, जब हम भी किसी पर जी रहे थे...
अपने आप को भूल कर, प्यार में हम खो रहे थे।

आईने के सामने हम खुद का चेहरा देखा करते थे...
देखते थे खुद को, और फिर खुद ही हंसा करते थे...

वो सुंदर सी लड़की से, हर दिन बातें किया करते थे...
तस्वीरों में उसके साथ बिताए पलों को सजाया करते थे।

कभी मिलने का इंतजार करते थे, तो उसकी आँखों में खो जाते थे...
जब से उस लड़की से मिले थे हम, उसे दिल से प्यार करते थे।

प्यार कोई खेल नहीं, यह सुना था दुनिया वाले लोगों से....
लेकिन इस सबसे हमें क्या, हम तो बस प्यार-प्यार करते थे।

तोहफे में हमने उससे हाथ माँगा था...
बेशुमार प्यार करते हुए, उसे ख्वाबों में संग ले जाते थे।

उसे हमसे प्यार होगा ऐसा हमने सोचा था...
क्योंकि अपनी मोहब्बत पे हम तो बहुत ऐतबार करते थे. 

फिर एक दिन यह जाना हमने, हमारा प्यार एक तरफ़ा था...
तब हमने समझा, उसे हमसे नहीं, हम उससे प्यार करते थे।
_ ©M.k....

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5 NOV 2023 AT 8:58


इस धूप में और छांव में, भूख और प्यास में,
खुशबू से भरी राहों में, रास्तों की फिजाओं में,
दो दिल मिलकर चले ,अब खुशियों की तलाश में,
आ, बैठ जिंदगी, हम बात करें साथ में।

सपनों की दुकान में, और हँसी की मिठास में,
नए ख्वाब सजाने को, इक दिल की आवाज में।
सितारों की रौशनी और रातों के ढंग में,
आ, बैठ जिंदगी, हम बात करें संग में।

रिश्तों की गहराई में, दोस्तों के साथ में,
मुसीबतों की बाधाओं में, एक-दूसरे के हाथ में।
किसी आंखें नम लम्हे में,तो किसी प्यारे से एहसास में,
आ, बैठ जिंदगी, हम बात करें साथ में।।
हम बात करें साथ में।।
- ©M.k....

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24 OCT 2023 AT 21:52

यह जोर शोर और बाजे से, आज फिर तुम मुझे जलाओगे
ऐ धूर्त पाखंडी मानव ! बोलो, यह अच्छा बनने का ढोंग कब तलक और फैलाओगे।
मेरा तो चरित्र तुमसे पावन था, तो बोलो अपने पुतले कब जलाओगे।।

माना थी वह गलती मेरी, जो मां जानकी का अपहरण किया लेकिन
मैंने मर्यादा के विरुद्ध आगे ना कोई आचरण किया.
और तुम हो कि हर नारी पर नजर गड़ाए रहते हो, पाप करते हो और छुपाए रहते हो
लेकिन जल गया मैं तो और जल गई मेरी लंका,
क्योंकि माना थी गलती मेरी जिसकी सजा में भोग चुका
लेकिन आज जलाने से पहले मुझे, बोलो अपनी गलती कब दिखाओगे
ऐ धूर्त पाखंडी मानव ! बोलो, यह अच्छा बनने का ढोंग कब तलक और फैलाओगे।

हां बुरा था मैं, क्या तुम बुरे नहीं , जो सिर्फ मुझे जलाने आए हो, यह जोर-जोर से तुम जो आए हो तो क्या साथ में अपने भी पुतले लाए हो।।

हां मैं रावण हूं श्री राम ने मेरा अंत किया ,अंत मन के रावण का क्या तुम भी कर पाओगे
आज लाखों रावण है यहां -भेष राम का लिए, बोलो
तुम उनका असली चेहरा कब दिखलाओगे
यह जोर शोर और बाजे से, आज फिर तुम मुझे जलाओगे
मेरा तो चरित्र तुमसे पावन था, तो बोलो अपने पुतले कब जलाओगे।।

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15 OCT 2023 AT 8:24

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12 SEP 2023 AT 5:18

आँखों में नमी, दिल में दर्द छुपा है,
"खुशबू" बिखरी, और ख्वाबों में गुमसुदा है।
दर्द की गहराइयों में छुपा सा दरिया,
खुशियों की धड़कनें, खो गई कहीं।अब ,
रुकी सी है ये दुनिया, और सहमा है आसमां,
फिर भी मुस्कुराता है, वो अधूरा इन्सां।।

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5 SEP 2023 AT 0:04

खोया हुआ है दिन, उदास है रातें,
मन में है दर्द, अजनबी सी बातें।

आँखों के आंसू, छुपे दिल की बात,
सब कुछ लगता है अधूरा सा, और खो गए जज़्बात।

खो गए जज़्बात, गुज़रे वो पल,
यादें हैं बस, दिल की गहराइयों में छुपी।

चुपचाप वो गुमसुम सा,अब रहता अकेला,
कहानी एक अधूरी सी, ख्वाबों की धड़कन में छुपी....।।

_ ©M.k....

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29 AUG 2023 AT 16:24

बचपन के पन्नों पर कई यादें छुपी हैं,
हंसी, खेल, मस्ती की वो बातें छुपी हैं।
मेरे नन्हे बचपन के सपने थे अपार,
बड़े होने के साथ आए हैं अब संकट विचार।

शहर के बगीचे, उसकी गलियों की छाती,
अब तक याद हैं मुझे, वो खुशियों की रेती।
पार्कों के हंसते झूलों पर रहा करते थे हम भी हकी,
अब मोबाइलों की दुनिया में है बस तनिक सी खटकी।

पढ़ाई की छुट्टियों में हम खेलते थे होली,
वो बारिश में कागज की नावों की वो Race,
त्यौंहारों पे पहनते थे रंग बिरंगे भेष,

वो छोटी सी मूर्ति, मासूमियत की परिभाषा,
आजकल के नगरों में कहां मिलता है
ये खुशियों का रास्ता, अब तो सब
खुद में सिमट से गये है, न किसी से मिलना
न वो पुरानी बातों के सिलसिले है।।
- ©M.k....



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