M G   (M Gulyani)
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Joined 6 April 2017


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30 JUN AT 21:52

यतीम किए कई
तुमने आसमाँ से
गिरा के बिजलियाँ,
और अपने बच्चों को
लोरी गाते हो
के अमन है, अमन है।।

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30 JUN AT 0:50

आसमान से सुकून बरसने दो ना,
कभी भीगी सी बूँदो से मिट्टी को,
कभी ओस की बूँदों से चमेली को
महकने दो ना।
ये आसमान से बरसते गोले बारूद को
जो तुमने बच्चों की कहानियों में
आम सा कर दिया है,
उस से बचपन को बचा लो ना,
आसमान से फिर सुकून बरसने दो ना ।।

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28 JUN AT 1:06

सब तौर तरीक़े ढब दुनिया के बदलते देखे हमने
ग़रीब को काफ़िर बनाने का दस्तूर मग़र कहाँ बदला

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22 JUN AT 22:02

अगर सब फूलों में ही महक होती,
तो चंपा जूड़े में क्यूँ गुँथती,
चमेली गजरे में क्यों सजती,
और गुलाबों से किसी का प्रेम कैसे जगा पाता
कोई हारा हुआ प्रेमी……

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19 JUN AT 22:31

क्यूँकि
प्रेम तो निर्लिप्त होता है ना
तर्क से
समझ से
और वही प्रेम कर पाने की लालसा में ही शायद
तर्क लगा लेते हैं हम

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14 JUN AT 20:07

The journey
from being clever
to being wise
is clearly
the most interesting

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13 JUN AT 15:56

क्या पता
के वो जो ख़ुद से बातें करता नज़र आता है
उसका ख़ुदा ही से राब्ता हो

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12 JUN AT 22:43

मुझे अब सवालों से डर नहीं लगता
क्यूँकि मेरे पास सब सवालों के जवाब हैं
अब मुझे इस बात से डर लगता है
के अब मेरे पास सब सवालों के जवाब हैं

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6 JUN AT 22:18

ख़ुदा को परखता है
तू जो चारों पहर
यार ने पूछा इक सवाल
तो ख़फ़ा क्यूँ है

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5 JUN AT 9:32

Ironically, the species who is responsible for
ruining the environment
is celebrating ‘Environment Day’.

All other creatures are just living sustainably

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