यतीम किए कई
तुमने आसमाँ से
गिरा के बिजलियाँ,
और अपने बच्चों को
लोरी गाते हो
के अमन है, अमन है।।
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आसमान से सुकून बरसने दो ना,
कभी भीगी सी बूँदो से मिट्टी को,
कभी ओस की बूँदों से चमेली को
महकने दो ना।
ये आसमान से बरसते गोले बारूद को
जो तुमने बच्चों की कहानियों में
आम सा कर दिया है,
उस से बचपन को बचा लो ना,
आसमान से फिर सुकून बरसने दो ना ।।-
सब तौर तरीक़े ढब दुनिया के बदलते देखे हमने
ग़रीब को काफ़िर बनाने का दस्तूर मग़र कहाँ बदला-
अगर सब फूलों में ही महक होती,
तो चंपा जूड़े में क्यूँ गुँथती,
चमेली गजरे में क्यों सजती,
और गुलाबों से किसी का प्रेम कैसे जगा पाता
कोई हारा हुआ प्रेमी……
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क्यूँकि
प्रेम तो निर्लिप्त होता है ना
तर्क से
समझ से
और वही प्रेम कर पाने की लालसा में ही शायद
तर्क लगा लेते हैं हम
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मुझे अब सवालों से डर नहीं लगता
क्यूँकि मेरे पास सब सवालों के जवाब हैं
अब मुझे इस बात से डर लगता है
के अब मेरे पास सब सवालों के जवाब हैं
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Ironically, the species who is responsible for
ruining the environment
is celebrating ‘Environment Day’.
All other creatures are just living sustainably-