कमी तो हमारे पास लफ़्ज़ों की पड़ गई, गुस्ताखी की जब हमने उनकीतारीफ़ में लिखने की। -
कमी तो हमारे पास लफ़्ज़ों की पड़ गई, गुस्ताखी की जब हमने उनकीतारीफ़ में लिखने की।
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ऐसा कोई दिन नहीं आयाजब आपकी याद नहीं आती।रात को नींद कहाँ आती हैजब आपसे बात नहीं होती। -
ऐसा कोई दिन नहीं आयाजब आपकी याद नहीं आती।रात को नींद कहाँ आती हैजब आपसे बात नहीं होती।
अन्जाम तो यहीं होना था,हकीक-ए-इश्क का आखिरकार! के सारे इल्ज़ाम हमारे सर मढ़ दिए जाएंगे। -
अन्जाम तो यहीं होना था,हकीक-ए-इश्क का आखिरकार! के सारे इल्ज़ाम हमारे सर मढ़ दिए जाएंगे।
ये वक़्त का खेल है जनाब,क्या हुआ थोड़ा मुर्झा गए हैं आज! कभी हम भी खिला करते थे। -
ये वक़्त का खेल है जनाब,क्या हुआ थोड़ा मुर्झा गए हैं आज! कभी हम भी खिला करते थे।
फारिक होने वाले हैं अब जान से भी, दिल से तो हम पहले ही हाथ धो बैठे हैं। -
फारिक होने वाले हैं अब जान से भी, दिल से तो हम पहले ही हाथ धो बैठे हैं।
मूतासिर तो हम उनके चेहरे से भी काफी थे लेकिन उनकी आँखों के आगे तो काएनात भी फीकी लगने लगी। -
मूतासिर तो हम उनके चेहरे से भी काफी थे लेकिन उनकी आँखों के आगे तो काएनात भी फीकी लगने लगी।
गुज़रे वक्त के साथ हम भी गुज़रजाएगें,कुश यादों को छोड़कर। -
गुज़रे वक्त के साथ हम भी गुज़रजाएगें,कुश यादों को छोड़कर।
सुबह-सुबह चाय की चुस्की के साथमिल जाए तो दिन बन जाता है। -
सुबह-सुबह चाय की चुस्की के साथमिल जाए तो दिन बन जाता है।
ये इतिहास रहा है दुनिया का,जहाँ हर कोई फ़ना होकर हीकुश बना है। -
ये इतिहास रहा है दुनिया का,जहाँ हर कोई फ़ना होकर हीकुश बना है।
महज कुश लम्हे तेरे नाम ही कर दिए,कुश रास्ते, मंजिलें और कुश मुक़ामकर दिए। -
महज कुश लम्हे तेरे नाम ही कर दिए,कुश रास्ते, मंजिलें और कुश मुक़ामकर दिए।