Luve Rai   (Luve 5683)
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Joined 23 June 2018


Joined 23 June 2018
4 MAR 2023 AT 23:45

कमी तो हमारे पास लफ़्ज़ों की पड़ गई,
गुस्ताखी की जब हमने उनकी
तारीफ़ में लिखने की।

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3 MAR 2023 AT 21:39

ऐसा कोई दिन नहीं आया
जब आपकी याद नहीं आती।
रात को नींद कहाँ आती है
जब आपसे बात नहीं होती।

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2 MAR 2023 AT 15:19

अन्जाम तो यहीं होना था,
हकीक-ए-इश्क का आखिरकार!
के सारे इल्ज़ाम हमारे सर मढ़
दिए जाएंगे।

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28 FEB 2023 AT 13:50

ये वक़्त का खेल है जनाब,
क्या हुआ थोड़ा मुर्झा गए हैं आज!
कभी हम भी खिला करते थे।

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26 FEB 2023 AT 13:41

फारिक होने वाले हैं
अब जान से भी,
दिल से तो हम पहले ही
हाथ धो बैठे हैं।

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18 FEB 2023 AT 18:32

मूतासिर तो हम उनके चेहरे से भी
काफी थे लेकिन
उनकी आँखों के आगे तो काएनात
भी फीकी लगने लगी।

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13 FEB 2023 AT 21:14

गुज़रे वक्त के साथ हम भी गुज़र
जाएगें,
कुश यादों को छोड़कर।

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6 FEB 2023 AT 10:12

सुबह-सुबह चाय की चुस्की के साथ
मिल जाए तो दिन बन जाता है।

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5 FEB 2023 AT 1:30

ये इतिहास रहा है दुनिया का,
जहाँ हर कोई फ़ना होकर ही
कुश बना है।

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1 FEB 2023 AT 21:28

महज कुश लम्हे तेरे नाम ही कर दिए,
कुश रास्ते, मंजिलें और कुश मुक़ाम
कर दिए।

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