मैं सही,तुम सही, वो सही ज़िन्दगी इसमे ही निकल गयी,
मगरूर शख्सियतो ने पूछा ही नही हालत कैसे थे।।-
काश में मेरे सभी जज्बातों को ज़ुबान और शब्द दे पाता !
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मेरे दर्द यह अल्फ़ाज़ अब मुझसे न बनेंगे,
यह झुटे इश्क़ के किस्से अब मुझसे न बनेंगे ,
किसी को संवारने में खुद को खत्म कर बैठे है
यह सिमटकर बिखरे रिश्ते दोबारा अब मुझसे न बनेंगे !!-
अधर मेरे कांप रहे है तेरी ये आह सुन कर,
मेरा दिल थम सा गया है तेरी ये पुकार सुनकर,
मैं ही तुम्हारा विश्वास हूँ मैं ही तुम्हारी मोहब्बत
मेरे आंसू रुक ना रहे तेरा यह इकरार सुनकर !
खुदा की इनायत है जो तू मिला मुझे
मेरा रोम रोम झूम रहा है तेरा ये साथ पाकर !!-
एक अधूरा से ख्वाब ले उड़ चला हूँ मैं
न सफर का पता है ना मंज़िल का
सारे रिश्ते झुटे निकले इस दुनिया के
ना अपनो का पता है ना गैरो का !!-
सुनो तुम यह तुम क्या कर रही हो,
यह चाँद सा हुस्न ले गजब कर रही हो,
और बताओ कौनसी मन्नत मांगी है तुमने
जो यह मुस्कान का बटवारा हर जगह कर रही हो !
बहुत खूबसूरत अदा से बक्शा है खुदा ने तुम्हे,
जो हर जगह हर किरदार में गजब कर रही हो !
और हम सब आपके मुरीद बन बैठे है
खुदा की दी कलाकारी का इस्तेमाल खूब कर रही हो !!-
एक अरसे बाद फिर कुछ आज दिल को कुछ सुझा है,
शायद आज फिर किसी ने मेरी नियत से कुछ बुझा है,
तुम हो असली या नकली शख्सियत है तुम्हारी
एक अरसे बाद फिर ज़माने ने यह सवाल मुझसे पूछा है,
खामोशियाँ शायद ईमानदारी को जँचती नही,
जो शख्सियत है हमारी ज़माने को जँचती नही,
तुम लाख हो वफादार,ईमानदार और नियत वाले
मगर कुछ आंखों को हमारी मासूमियत जंचती नही,
हर सुबह जागने पर जो इंसान सूझता है
वही हमसे हमारे ईमान पर सवाल पूछता है
बड़े अरसे से चुप रहा ताकि दिल ना टूटे किसी का मुझसे
वही दिल खुद तलवार का पता आज हमसे पूछता है !!-
Ek arse pahle dua mangi thi jiski
Din raat beth khuda se manga tha
Hr dar par uska hi intezar kia
Apni sachhai se paya ek din jise
Barso bit chuke hai use mere zindagi me aaye
Par ab tak roj ek nayi subah sa hai
Khuda ke die hue khas tohfe sa hai !-
किसी के चेहरे से इश्क़ न किया है और न कभी करेंगे ,
और सब टूट चूका है अंदर न देखेंगे और ना मरम्मत करेंगे !-
ना कोई रिश्ता है ना किसी के इश्क़ से रूबरू हूँ
हाँ मगर एक अधूरे पुराने ख्वाब से नफरत नही है !-
एक अजीब सी कहानी है,
मगर जरूरी आज बतानी है,
एक समा था अज्ञानी बड़ो का
मगर अब पढ़ा लिखा भी अज्ञानी है !
पहले बेटी को पढ़ाने के खिलाफ थे ,
अब बेटी को पढ़ाकर भी खिलाफ है !!
बेटो को ना पूछेंगे करता क्या है दिन भर
मगर बेटी पर नज़र लगी है पल पल भर
ऐसी भी बेटी को क्या पढ़ाई लिखाई कराई
सिर्फ परिवार संभालने की जिम्मेदारी चढ़ाई
समानता के भ्रम में रख कर बेटी को चढ़ा रखा है,
असलियत में उसे हाथ की एक कठपुतली बना रखा है,
आज़ादी के नाम पर स्कूल कॉलेज पढ़ाएंगे
मगर बेटी की ज़िंदगी की डोर खुद ही चलाएंगे !!!!
नमन ऐसे माँ बाप को
और शर्म ऐसे ज्ञान को !!🙏-