Lucky Garg   (कलम से लकी)
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तू फतेह कर, है खड़ा मददगार वो
जरूरतें सुला दे जगा के कलमकार को
Joined 17 August 2017


तू फतेह कर, है खड़ा मददगार वो
जरूरतें सुला दे जगा के कलमकार को
Joined 17 August 2017
27 JUL 2021 AT 11:35

बड़े खुश खुश से लगते हो आजकल
शायद देने कोई फिर से सहारा आ गया
पिछली हालत भूल गए क्या लकी
जो दिल किसी और पर दोबारा आ गया

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26 MAY 2021 AT 16:55

Heart touching Mother's poetry
Video is in bio link go and
watch Thank u🙌🖤
मां पर poetry का वीडियो
Bio के लिंक में है आशा करता हूं
आपको पसंद आयेगा❤️🖤

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8 MAY 2021 AT 12:26

तमाम कायनात में " इक कातिल बीमारी की हवा हो गई "
वक्त ने कैसा सितम किया कि " दूरियां " दवा हो गई।

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5 MAY 2021 AT 18:53

बाहर से शांत दिखने के लिए
अंदर से बहुत लड़ना पड़ता है।

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30 APR 2021 AT 12:29

मुंह की बात सुने हर कोई
दिल के दर्द को जाने कौन
आवाजों के बाज़ार में
खामोशी पहचाने कौन

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27 APR 2021 AT 21:17

वाह रे इंसान ज़िन्दगी भर करता रहा
तू नीची जात वाला उसकी जात ऊंची
और बात जब खुदकी जान पर बन आयी
तो खून देने वाले से तूने उसकी जात ना पूछी

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1 APR 2021 AT 9:04

अब मेरी मज़ार पर हर रोज़ उनके
कदमों की आहट मिलती है,
शायद मरने के बाद ही
कुछ लोगों को उनकी चाहत मिलती है।

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22 FEB 2021 AT 11:17

मौत पसंद है अपमान नहीं
दुश्मन चलेगा धोखेबाज नहीं

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19 FEB 2021 AT 18:02

ये दुनिया है जनाब
ये रुलाती भी उसी को है
जो सबको हंसाता फिरता है❣️

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12 FEB 2021 AT 6:27

काश लिखने से सब सच हो जाए
मै लिखूं प्यार और तू मेरा हो जाए

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