169/365
काश! कोई हमारी भी थोड़ी ज्यादा फिक्र करता,
यूँ देर रात तक अकेले जागने का सबब पूछता,
डाँट लगा देता हमको, यूँ देर तक जागते देख,
और गुस्सा होते हम, तो वो प्यार से मना लेता।
©सखी- "Sakhi"
24 JUN 2019 AT 9:43
169/365
काश! कोई हमारी भी थोड़ी ज्यादा फिक्र करता,
यूँ देर रात तक अकेले जागने का सबब पूछता,
डाँट लगा देता हमको, यूँ देर तक जागते देख,
और गुस्सा होते हम, तो वो प्यार से मना लेता।
©सखी- "Sakhi"