लता शर्मा सखी   ("Sakhi")
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Joined 15 August 2017


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Joined 15 August 2017

अच्छा हुआ जो आज तुमने
मुझे बता दिया,
कि मुझे तुमसे नाराज होने या
तुम्हारे सामने नखरे दिखाने का
कोई भी हक नहीं है..
बस फर्ज ये है कि मैं तुम्हें समझूं,
और तुम्हारी मजबूरियों को समझूं...

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पूरा दिन कहती रही सखी
मासूम दिल से कोई बात नहीं..
हां कोई बात नहीं,
जो कोई जन्मदिन भूल गया,
हां कोई बात नहीं,
जो कोई पूरा दिन दिल तोड़ गया,
हां कोई बात नहीं,
कि उम्मीदें धराशाई हो गईं,
हां कोई बात नहीं, जो
जिंदगी ने अनचाहा तोहफा दिया,
हां कोई बात नहीं,
जो तुझे अशुभ, मनहूस
और गले की हड्डी कहा गया..
हां कोई बात नहीं,
जो तुझे बद्दुआएं मिली.
कोई बात नहीं सखी,
किस्मत ही तेरी ऐसी है..

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Happy birtday to me😏

एक और बोझिल दिन गुजर गया,
कुछ ख्वाहिशें फिर मर गई,
कुछ सपने फिर अधूरे रह गए,
दिल से निकल ही नहीं पाए,
जुबान जिन्हें मिली ही नहीं,
एक साल उमर का कम हो गया,
आंखें बरसती रही पूरा दिन
न जान सका न कोई देख सका,
यूं भी मना लिया सा सखी,
मुबारक हो तूने ये तेरा जन्मदिन..

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क्यों जलन और तड़प सी होती है,
ए नादान दिल तुझको,
जब वो किसी और की तारीफ
मासूम और प्यारा कह करते हैं,

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आज जो कहा हमने उनसे
बड़े प्यार से, उनके मुंह से
किसी दूजे की तारीफ सुनकर,
जरा कर दो तारीफ हमारी भी,
वो बड़े प्यार से बोले,
तुम्हारी खूबी यही है कि
तुममें कोई खूबी नहीं..

सच! हम अब तक सोच रहे
ये तारीफ थी या कुछ और..
गर कुछ और था तो क्या?

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क्यों हर किसी में ऐब देखते हो,
अपना नजरिया ठीक करो..
क्यों किसी में नुक्स निकालते हो,
अपना नजरिया ठीक करो..
देख नहीं सकते किसी में अच्छाई,
तो बुराई भी न देखे तुम्हारी नजर
जरा अपना नजरिया ठीक करो..
क्यों जज करते हो किसी को
उसकी बात एक आदत से,
जज करने का हक नहीं तुम्हें,
अपना नजरिया ठीक करो..
दुनिया में सब बुरा नहीं है,
अच्छा भी तो देखा करो,
अच्छा देखने लगोगे..
बस नजरिया ठीक करो...

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'गर्द' सालों की जो जमी है तू दिल मिटा देना,
वो जो कभी मिलें तो उन्हें यूँ गले लगा देना।

बयाँ कर देना हिम्मत करके मुहब्बत अपनी,
यूँ अधरों को उनके रूखसार से मिला देना।

जी भर कर मिलना उनसे कमी न रहे कोई,
बिन उनके हाले दिल क्या है उन्हें दिखा देना।

ये बेपनाह मुहब्बत है बस उन्हीं की खातिर,
तू इस एहसास से रूबरू उन्हें भी करा देना।

न रह 'सखी' ये दुनिया पत्थर सा ही समझेगी,
बहती है एक बड़ी तड़प की उन्हें बता देना।

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My father's death..
He was a writer also..
After his death,
I was felt so lonely,
Then my mom
Give me his one dairy..
And,
I wrote my first poem..
Name is ’sapna’

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'गर्द' सालों की जो जमी है तू दिल मिटा लेना,
वो जो कभी मिलें तो उन्हें यूँ गले लगा लेना।

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उम्मीद से ज्यादा चाहा है तुझे,
हर पल दुआओं में मांगा है तुझे,
गुलाब की तरह खिलती रहे तू,
तभी बागीचे–गुल माना है तुझे।

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