लफ्ज़   (लफ्ज़ोकाघर(Houseofwords))
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Joined 17 December 2019


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20 SEP 2022 AT 8:38

सिर्फ सुनना और हामी भरना ही काफी नहीं, मेरी जान
:-लफ्ज़

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20 SEP 2022 AT 2:20

ताउम्र हम रहे हम इंतजार में
वो समझते रहे हमें दूरिया पसंद है

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2 JUL 2022 AT 22:00

बताने से बेहतर है

जख्म दिखाने से अच्छा है
छुपा कर रखो
नासूर बनाने से बेहतर है

और ,और तुम क्या समझते हो
दुनिया तुम्हारे जैसी है
ये तुम्हारा खुद को आजमाने से बेहतर है

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29 JUN 2022 AT 15:02

कभी-कभी नींद खो जाती है
जैसे कोई अजनबी शहर में रास्ता भूल गया हो

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1 FEB 2022 AT 22:20

आँखों में इक ख़्वाब पड़ा है
भूला बिसरा एक राह पड़ा है
कभी मैं भी जी लूँगा अपनी ज़िन्दगी
बस यही सोच कर एक ख़ाब पड़ा है — % &

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1 FEB 2022 AT 22:11

कुछ तो मिलता है सबको
मैं हैरान नहीं हूँ
ये सोच कर क्या मिला है मुझको ?

और अगर तुम परेशान हो ?
तो खुद को थोड़ा जान लो
क्या किया है तुमने ?
क्या मिला है तुमको ?
— % &

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31 JAN 2022 AT 7:55

शाख को कोई नहीं पूछता फूल के सब दीवाने है
जब शाख टूट गई फूल से रूठे अब सारे है
:- लफ्ज़ — % &

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30 JAN 2022 AT 7:56

— % &

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27 JAN 2022 AT 8:38

पुराने हो जाते हैं — % &

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26 JAN 2022 AT 15:26

किताब मत समझना तुम्हारी आज़ादी
लिखी है
तुम भूल ना जाना तुम्हारी ही बात
लिखी है — % &

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