सिर्फ सुनना और हामी भरना ही काफी नहीं, मेरी जान
:-लफ्ज़-
लफ्ज़
(लफ्ज़ोकाघर(Houseofwords))
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Poet lafaz, Author of "self love by lafaz" Philosopher & thinker.
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Joined 17 December 2019
2 JUL 2022 AT 22:00
बताने से बेहतर है
जख्म दिखाने से अच्छा है
छुपा कर रखो
नासूर बनाने से बेहतर है
और ,और तुम क्या समझते हो
दुनिया तुम्हारे जैसी है
ये तुम्हारा खुद को आजमाने से बेहतर है-
1 FEB 2022 AT 22:20
आँखों में इक ख़्वाब पड़ा है
भूला बिसरा एक राह पड़ा है
कभी मैं भी जी लूँगा अपनी ज़िन्दगी
बस यही सोच कर एक ख़ाब पड़ा है — % &-
1 FEB 2022 AT 22:11
कुछ तो मिलता है सबको
मैं हैरान नहीं हूँ
ये सोच कर क्या मिला है मुझको ?
और अगर तुम परेशान हो ?
तो खुद को थोड़ा जान लो
क्या किया है तुमने ?
क्या मिला है तुमको ?
— % &-
31 JAN 2022 AT 7:55
शाख को कोई नहीं पूछता फूल के सब दीवाने है
जब शाख टूट गई फूल से रूठे अब सारे है
:- लफ्ज़ — % &-
26 JAN 2022 AT 15:26
किताब मत समझना तुम्हारी आज़ादी
लिखी है
तुम भूल ना जाना तुम्हारी ही बात
लिखी है — % &-