13 JUL 2018 AT 23:12

प्रीत की तुम परीक्षा ना लेना प्रिय
प्रेमियों से मैं आगे निकल जाऊँगा
दीप की लौ सी तुम टिमटिमाती रहो
मैं पतिंगे की मानिंद जल जाऊँगा

इतना संताप (दर्द) मेरे हृदय को मिला
बन गया एक पत्थर की पाहन शिला
अब अहिल्या सा आया हूँ तेरी शरण
तू मेरे वास्ते राम का है चरण

सिर्फ छू ले तो पत्थर रहूँगा नही
आदमी बनके पूरा बदल जाऊँगा

प्यार किसी को भी पूरा ना मिला जग में
पहला अक्षर ही इसका अधूरा रहा
प्यार मुझको जो जग में पूरा मिले
बनके पूरा, अधूरा भी मैं चल जाऊँगा

प्रीत की परीक्षा ना लेना प्रिय
प्रेमियों से मैं आगे निकल जाऊँगा


- Lovin