आजकल वक़्त मिलता नही है...!! बहुत तलाशने पर भी। ढूंढता रहता हूँ वक़्त, तुमसे मिलने के लिए, पर वक़्त... वक़्त तो तुम्हारे हाथ मे बँधा हुआ है। ठहरा हुआ है कलाई में तुम्हारी। ❣️
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I'm little silly because I love to do what I want to d... read more
कुछ कहते है की तू ताजमहल हैं, मोहब्ब्त की निशानी..!!
कुछ कहते है कि तू तेजोमहालय है, एक शिवालय..!!
दोनों झूठे है..!! इतिहास कहता है कि एक बादशाह ने अपनी बेग़म की कब्रगाह के रूप में तुझे बनवाया था। मैं कहता हूँ मोहब्ब्त थी तो बेग़म के ग़म में वो दीवाना क्यों न हो गया। इतना होश कैसे रह गया उसे की वो कोई इमारत बनवा देता।
राजनीति कहती है कि शिवालय था, शिव शमशान के वासी है कब्रगाहों के नही। अगर था भी तो अब वो शिवालय होने के क़ाबिल नही। इसके पक्ष में कोई तर्क नही, बल्कि एक किताब है। जो 20 वर्ष पूर्व लिखी गयी।
लेकिन इन दोनों झूठ के बीच कहीं एक सच है, और वो ये है कि तू बहुत खूबसूरत है। और यही तेरा गुनाह है।
हर खूबसूरत चीज़ को लोग पाने की चाहत रखते है, और जब उसपर अधिकार स्थापित नही कर पाते तो उसे बदनाम करने में भी गुरेज़ नही करते।
तो क्या हुआ अगर तू दुनिया के 7 अजूबों में से एक है..!!
तो क्या हुआ अगर पिछले 3 वर्षों में तूने भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण को 200 करोड़ की आमदनी करके दी है।
तो क्या हुआ अगर विश्व भर के सैलानी तेरी एक झलक पाने को आते है।
ये सब गौण विषय है..!! मुख्य विषय ये है कि कैसे तुझे खाक में मिला कर ये साबित कर दिया जाए की इंसान इस धरा का सबसे बदसूरत प्राणी है।
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तुम रूस के जैसी घातक हो,
मैं भोला सा कोई यूक्रेन प्रिये,
मैं हारता बाज़ी दिल देकर,
तुम जीतती लगाकर ब्रेन प्रिये,
तुम नाटो सी बहलाती हो,
मैं बातों में आ जाता हूँ,
तुम पलटती हो अमरीका सी,
मैं ज़लेंस्की सा रह जाता हूँ,
तुम करती हो हमले मुझ पर,
मैं हर हमले को सहता हूँ,
तुम कहती हो झुकना होगा,
मैं फिर भी लड़ता रहता हूँ,
हां जीतोगी ये बाज़ी तुम,
हारूँगा मैं ये खेल प्रिये,
तुम रहोगी महाशक्ति बन कर,
मेरा निकलेगा तेल प्रिये..!!-
अंदर से कैसा नज़र आता हूँ मैं,
इस चेहरे को ज़रा उतार कर देखूँ,
कभी देखूँ मुस्कुराकर ख़ुद को,
कभी बाल अपने सँवार कर देखूँ,
तेरी नज़र से देखूँ चेहरा अपना,
फिर से खुद को निहार कर देखूँ,
लौट आना चाहता हूँ तेरे अंदर से मैं,
माँ की तरह खुद को पुकार कर देखूं,
जीतने की दौड़ में यहाँ तक आ पहुँचा,
अबकी बार ये जंग हार कर देखूँ...!!-
ज़ख्म भी दिए उसने माँ के हाथ के निवाले की तरह,
एक औऱ, बस आखिरी, ये वाला छोटा सा...!!-
ऊँचे लोगों की नीचाई को जानता हूँ मै,
तुम जैसे सच्चों की सच्चाई को जानता हूँ मैं,
साफ़ कहती है अंधेरे में साथ निभा ना सकेगी,
तुमसे बेहतर अपनी परछाई को जानता हूँ मैं..!!-
हम है बदनसीब या नसीब हमारा रूठा है,
हर रिश्ता दुनिया में जाने कितना झूठा है,
इन दरारों से बचा के संभाल रखा था ये दिल
कितने टुकड़े समेंटे, दिल कितनी बार टूटा है!-
याद रह रह के तुझको भी आती तो है,
मैसेज लिख लिख के तू भी मिटाती तो है,
जो दीया बुझ गया था उस एक तूफान में,
उस दीये में भीगी सी एक बाती तो है...!!
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होंठ ख़ामोश है पर निगाहें,
निगाहों से कुछ कह रही है,
मैं भी जानू ये तुम भी जानो,
बात दोनों में जो हो रही है,
सफ़र में रहा - हमसफ़र मैं,
एक लम्बा सा अरसा बिताए,
जब दिखने लगी मंज़िले तो,
शबनमों ने है कोहरे बिछाये,
एक दीपक जला दो सनम तुम
मिल जाए हमको रस्ता तुम्हारा,
पाँव बोझल है, धुँधली है राहें,
दिल मे बाकी है अरमां तुम्हारा,
हो रहा है सुबह का उजाला,
रात की कालिमा ढल रही है,
रतजगे की ये सारी थकावट,
पास आकर तुम्हारे घट रही है,
होंठ खामोश है पर निगाहें,
निगाहों से कुछ कह रही है,
मैं भी जानू ये तुम भी जानों,
बात दोनों में जो हो रही है..!!
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एक बार फिर उन पर भरोसा कर रहे हो तुम,
तुम्हे कुछ इल्म है? ये क्या कर रहे हो तुम..!!
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