Kash ki tum fir kuch pal ruk jao,
Dekhu tumhe tum jara thahar to jao,
Abhi to mile ho abhi to mulakat baki h,
Y to saam h abhi to raat baki h,
Abhi to dekhna h Naya savera tumhare sath,
Mughe tumse karni h tumhari baat,
Chalta rahe y silsila uhi Umar bhar,
Na khatam ho ab ye safar.
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बहुत शोर है मेरे अंदर, तुम सुनने आओगे क्या?
दिल नहीं लगता मेरा कहीं, तुम बहलाओगे क्या?
यूं तो हमेशा हंसी होती है होठों पर मेरे, तुम मेरे संग थोड़ा मुस्कुराओगे क्या?
गिरते नहीं पर लड़खड़ा जाते हैं पांव मेरे, तुम संभाल पाओगे क्या? महफिले बहुत मिलती है मुझे, तुम मेरे लिए अपना थोड़ा वक्त निकाल पाओगे क्या?
ज्यादा नहीं कुछ खवाहिश है मेरी, तुम उन में शामिल हो पाओगे क्या? डरती हूं दिल्लगी से मैं, तुम सच में मुझे अपना बना पाओगे क्या?-
ज्यादा वक्त नहीं गुजरा अभी कि हम मिले नहीं,
पर जो गुजरा है वह किसी अरसे से कम नहीं॥ — % &-
यह सोचकर मूंद लेती हूं कई बार अपनी आंखें,
कि अब खुली तो शायद सब ठीक होगा l-
इस दुनिया मे एक पहचान पाऊ, यह प्रेरणा देती।
फिर ना जाने क्यु कभी-कभी इसी दुनिया से मुझे छुपाती।
यूँ तो सबके सामने मेरी तारीफ किया करती,
पर मेरे आते ही मेरी खामिया गिनाती।
ऐसा कोई दिन नही जब वो मुझे टोकती नही,
ये नही तो ऐसे नही,
गलती होने पर पहले डांटती फिर प्यार से समझाती।
हर बार मेरे सपने वो अपने पलको पर सजाती,
उडान भरनी होती मुझे तो वो मेरे पंख बन जाती।
जब कभी उनकी नकल करती ,
तो गुस्सा होने का बहाना करती फिर मुझे देख खुद मुस्कुरा देती।
"मेरी मम्मी"-
बहुत परेशान करती हूं ना तुम्हें,
बहुत सी शिकायतें भी है तुम्हें मुझसे,
तो रहने दो ना,
बस कुछ दिनों की तो बात है,
मेरे साथ साथ यह भी चली जाएंगी।-
अर्से बाद आज फिर कलम उठाई थी,
लिखना चाहा था खुद को,
पर तेरी तस्वीर उतर आई थी।-
यूं तो तुम बहुत समझदार हो,
पर सिर्फ मेरी ही बातों में नासमझ बन जाते हो,
तुम सच में नासमझ हो या सिर्फ मुझे जताते हो?-
जिसे पहले कभी जाना ना था,
आज वो मेरे वजूद का हिस्सा बन गया।
वाकिफ थी तो मै सिर्फ खुद से,
अब वो मेरी कहानी का एक किस्सा बन गया।
मिलती थी कभी मैं अपने आप से,
अब उससे मिलने का जैसे सिलसिला चल गया।
जरा जरा उतरने लगी थी मैं उसमें,
और वो मेरी रूह में कतरा कतरा ढल गया।-
हौसला रखती हूं पूरी दुनिया से लड़ जाने का,
पर लड़ जाऊं खुद से इतनी हिम्मत नहीं मेरी।-