बहुत शोर है मेरे अंदर, तुम सुनने आओगे क्या?
दिल नहीं लगता मेरा कहीं, तुम बहलाओगे क्या?
यूं तो हमेशा हंसी होती है होठों पर मेरे, तुम मेरे संग थोड़ा मुस्कुराओगे क्या?
गिरते नहीं पर लड़खड़ा जाते हैं पांव मेरे, तुम संभाल पाओगे क्या? महफिले बहुत मिलती है मुझे, तुम मेरे लिए अपना थोड़ा वक्त निकाल पाओगे क्या?
ज्यादा नहीं कुछ खवाहिश है मेरी, तुम उन में शामिल हो पाओगे क्या? डरती हूं दिल्लगी से मैं, तुम सच में मुझे अपना बना पाओगे क्या?
-