तेरे इश्क़ की बरकतें कुछ एेसा रंग लाती है,
दूर बहुत हो तुम,पर दिल से सदाएं आती हैं।
वो स्याही फेलें कुछ पन्ने,और उनमें रखे गुलाब
वो अधूरी सी कुछ लाइनें और मेरे पूरे से कुछ ख्वाब,
तेरे कॉल के इंतज़ार में मेरी रातें यूं ही कट जाती है,
तेरी यादों की वो बारिश,अक्सर मुझे भीगा जाती है,
तेरे इश्क़ की वो लज्जतें कुछ ऐसा रंग लाती हैं।
.
वो साथ चलते-चलते अचानक तेरा आगे निकल जाना,
आंखों में 'इज़हार-ए-मोहब्बत' और होंठों से मुकर जाना,
मुझे चिड़ाने को तेरा खुद को ,किसी और के साथ दिखाना,तेरी इस बदतमीजी पर मेरा बस मुस्कुरा कर रह जाना
पर सच कहुं तो मेरी रुह तक जल जाती है,
तेरे इश्क़ की तोहमतें कुछ ऐसा रंग लाती हैं।
-