ज़िन्दगी में ऐसे मोड़ आएंगे कभी सोचा न था,
हम दोनो अजनबी हो जाएंगे कभी सोचा न था।
रही मसरूफियत बहुत तेरे जाने के बाद लेकिन,
तेरे ख्याल इस तरह सतायेंगे कभी सोचा न था।
है भीड़ हर तरफ बला की और हम अकेले ही रहे,
दस्तूर-ए-ज़िन्दगी ऐसे निभाएंगे कभी सोचा न था।
याद में आपकी अश्को का बहना ये और बात है,
अश्क़ों में डूब कर मर ही जायेंगे कभी सोचा न था।
किया कभी गिला-शिकवा नही आपसे लेकिन,
मेरे सजदों से आप पत्थर हो जाएंगे कभी सोचा न था।
बे-हिसाब अज़ीयत होती है इन यादों से हमको,
ये ख्याल इस तरह रुलायेंगे कभी सोचा न था।
इस दर्द से कही बेहतर है मौत का आना लेकिन,
हम मौत को भी तरस जाएंगे कभी सोचा न था।
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