समझ नहीं आता कि
तू मेरे लिए क्या है
क्योंकि खुद से दूर मैं तुझे रख नहीं पाती हूँ
और अपने करीब मुझे तू आने नहीं देता है-
अजीब ही सिलसिला रहा ..
मेरी मोहब्बत का भी
कैसें बयान करुँ
मैं चंद अल्फाज़ो मे
बस यू समझ ले के
ज़िन्दगी कुछ इस
तरह रही कि
कभी तू ना मिला
तो कभी तेरी मोहब्बत....
-
वरना मुरझाना तो उनकी फितरत है
लेकिन वक़्त से पहले मुरझा जाये
ये भी तो सही नहीं-
छोटी थी तो ज़िन्दगी की
हक़ीक़त से अनजान थी
इसलिए दिल मे बड़ी होने की बड़ी चाह थी
आज जब वाकिफ हुई इस बात से कि क्या है ज़िन्दगी
तो एक बार वो नादान बचपन फिर याद आ गया
जो खुद एक अतीत की मीठी याद बन गया है
-
जो तू नजरे चुराने लगा है
वरना तेरी चाहत ही यही थी
कि सदिया बीत जाए यू ही
इन आँखों मे खोये हुए-
एक अरसा हो गया
मेरा हाथ छोड़े तुझे
फिर भी तेरी याद
मुझे रुला क्यों जाती है-
Bachpan ki yaadein hi to hain
vajaha ke main aaj bhi khadi hoin
varnaa zindagi ne to bahaut
koshish kari hain mujhe giraane ki-
हर बार जब भी
मेरी पलके भीगी
वो अलग बात है
तुझे उसमे मे भी
केवल बारिश की
बूँदे नजर आयी
-
gamoin ki khwaaish
bhalaa kise hoti hain
miltaa vahi hain
jo mukkaddar me
likhaa hota hain
varnaa khushiyaa chaahi
to humne bhi thi
kabhi mili nahin
wo alag baat hai-