राम की महिमा से राम ही अनजाने
पर राम की महिमा पूरा जग है जाने
राम का हर रोम रोम हमें बताता है
जीवन में हर पल नई चुनौती आता है
जो हर विघ्नों को गले लगाता है
अंत में वही राम को पाता है
राम , अहिल्या के उद्धारक है
राम , धर्म के धारक हैं
राम , नीति के पोषक हैं
राम, अहंकार के शोषक हैं
राम, त्याग के तीरथ हैं
राम, मानवता के मूरत हैं
राम, प्रेम के सावन हैं
राम, मां सीता के मनभावन हैं
राम, प्रकृति के प्यारे हैं
राम, हमारे सबसे न्यारे हैं
राम, हर जीवन की आशा हैं
राम, मानवता की प्रत्याशा हैं
राम, हर आंखों के सपने हैं
राम, हम सबके अपने हैं
राम, नाम में सबसे सुंदर हैं
राम, हम सबके अंदर हैं
राम, मर्यादा में उत्तम हैं
इसीलिए तो राम पुरुषोत्तम हैं-
सात दिनों का यह जीवन
हर रोज नया कुछ लाता है
कभी हंसाता तो कभी रूलाता है
हर शाम यादों में ढल कर
हर सुबह नयेपन में आता है
तुम अपने हिस्से की खुशियां मांगों
मैं अपने हिस्से की फरियाद करूं
देनहार की अनुपम लीला
सबको कुछ न कुछ दे जाता है-
दिल तोड़कर बरसात की बात करते हो
चांद छोड़कर हसीं रात की बात करते हो
इतना मासूमियत अब तुमको नहीं भाता
अकेला छोड़कर अब साथ की बात करते हो-
जीवन की बहती यह नियमित समय धारा है
कभी इस पार , तो कभी उस पार का सहारा है
कालचक्र में आते जाते हर पल का यही हासिल
जीवन में कभी कुछ जीता तो कभी कुछ हारा है।-
जीवन समर में खुद को तपाना पड़ता है
हर रावण को हराने रघुवर को आना पड़ता है
जब जब होती है असुरत्व और देवत्व की लड़ाई
धर्म की जय के लिए नारायण को आना पड़ता है-
उससे कहने को अंतस में हर बार ख़्याल आता है
कैसे कहूं उससे, हर बार यही सवाल आता है
अपनी ही ध्वनियों को प्रतिध्वनियों में सुन सुनकर
न कह पाने के बीच, बीते हुए सालों पर मलाल आता है-
जंगलों को काटकर वो महल बना रहे हैं
फिर प्लास्टिक की चिड़ियों से उसे सजा रहे हैं
अपनी इस नासमझी को समझदारी समझ कर
तेरा मेरा करते करते वो सबको उलझा रहें हैं।-
मुद्दतों बाद भी ज़ेहन से जाती नहीं उसकी याद
कितने अरमान लिए घूमता था मैं खलीलाबाद-
किसी के शब्द या उसकी कहानी आपको सकारात्मक कर सकता है परन्तु प्रेरित नहीं। प्रेरणा तो केवल स्वयं के अन्तर्मन से ही उत्पन्न होता है।
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