Lokesh MogRe   (लोकेश मोगरे 'ऋ-क़ौल'✍️)
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4 JUN AT 7:02

जल की बूंदों से निर्मित
श्याम-वर्ण वाले मेघों की ओट
छिपा लेती है
उन स्वच्छंद विचरण करती
सूर्य रश्मियों को
क्षण-मात्र के लिये।
कर्म भी सूर्य-रश्मियों के मानिंद
उजागर जरूर होते है
चाहे कितना ही उसे छिपाये
कोई कलुषित प्राणी।

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17 MAR AT 6:18

Be the catalyst of change in an age where deceit is camaraderie and subversion an artful stratagem.

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13 MAR AT 7:54

क़ब्ल से ही मयस्सर था
इंतिख़ाब जिसे,
अब मशग़ुल है वो मुझे
मुख़ालिफ़ बताने ।
मरासिम के फ़ल्सफ़े
तग़ाफ़ुल होने लगे, कि
मिरी तुर्बत पर फिर
गिर्या-ए-नदामत बेफुज़ूल होगी ।।

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23 JAN AT 22:39

कुछ बातें है जो समझनी।
बिता कर वक़्त संग तेरे,
यादें है कुछ जो बदलनी।
रिश्तें थे कुछ जो दिल के,
सुनानी है कहानी उनकी।
ज़िन्दगी मेरे पास आ,
कुछ बातें है फिर करनी।

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17 JAN AT 23:39

पर निर्णय तुम पर छोड़ा था,
और तुमने वियोग चुना।
मेरा निर्णय तब भी अटल था,
अब भी,
मैं अपनी फलों की बगिया में
तुम्हें झूला झुलाता।

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15 JAN AT 10:42

जानकर भी हक़ीक़त
मैं साथ देता रहा
क्योंकि
रिश्ते
उस शाम की
मोड़ पर थे,
जहाँ सूरज नहीं,
साथ
डूब रहा था।

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9 SEP 2024 AT 23:56

मयस्सर था मैं, जब तक सिपर की तरह
ता-हद-ए-नज़र था मैं, अहलेदिल की तरह।
राह-रौ के फिर, मिटते गए सारे नक़्श-ए-पा
क़ातिब के जैसे मिटते हुए, हर्फ़ों की तरह।।

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9 SEP 2024 AT 3:14

वो महज रस्म-अदायगी थी
या फिर दौर-ए-नासाज़-वक़्त,
गफ़लत में ठहरा आज भी हूँ-
कि मुझे पायदान बनाया गया
या समझा गया.....

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2 JUL 2024 AT 6:49

मुख़्तसर सफ़र औ' गुज़िश्ता यादें
दुनिया-जहां की वो जावेदाँ बातें।
निस्बत का फितूर है या दस्तूर,
दिल-निहाद भी संगदिल हो जाते।।

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29 JUN 2024 AT 0:01

Whether I'm subdued
or erased from your life,
You continue to be a
vigor music in my life.
May this lovely day
bring more happiness
in your cherished life.

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