Be the catalyst of change in an age where deceit is camaraderie and subversion an artful stratagem.
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क़ब्ल से ही मयस्सर था
इंतिख़ाब जिसे,
अब मशग़ुल है वो मुझे
मुख़ालिफ़ बताने ।
मरासिम के फ़ल्सफ़े
तग़ाफ़ुल होने लगे, कि
मिरी तुर्बत पर फिर
गिर्या-ए-नदामत बेफुज़ूल होगी ।।-
कुछ बातें है जो समझनी।
बिता कर वक़्त संग तेरे,
यादें है कुछ जो बदलनी।
रिश्तें थे कुछ जो दिल के,
सुनानी है कहानी उनकी।
ज़िन्दगी मेरे पास आ,
कुछ बातें है फिर करनी।-
पर निर्णय तुम पर छोड़ा था,
और तुमने वियोग चुना।
मेरा निर्णय तब भी अटल था,
अब भी,
मैं अपनी फलों की बगिया में
तुम्हें झूला झुलाता।-
जानकर भी हक़ीक़त
मैं साथ देता रहा
क्योंकि
रिश्ते
उस शाम की
मोड़ पर थे,
जहाँ सूरज नहीं,
साथ
डूब रहा था।-
मयस्सर था मैं, जब तक सिपर की तरह
ता-हद-ए-नज़र था मैं, अहलेदिल की तरह।
राह-रौ के फिर, मिटते गए सारे नक़्श-ए-पा
क़ातिब के जैसे मिटते हुए, हर्फ़ों की तरह।।-
वो महज रस्म-अदायगी थी
या फिर दौर-ए-नासाज़-वक़्त,
गफ़लत में ठहरा आज भी हूँ-
कि मुझे पायदान बनाया गया
या समझा गया.....-
मुख़्तसर सफ़र औ' गुज़िश्ता यादें
दुनिया-जहां की वो जावेदाँ बातें।
निस्बत का फितूर है या दस्तूर,
दिल-निहाद भी संगदिल हो जाते।।-
Whether I'm subdued
or erased from your life,
You continue to be a
vigor music in my life.
May this lovely day
bring more happiness
in your cherished life.-
when life gives a blow,
I listen to books around,
enlightening me abound,
This makes me to re-glow,
and kindles sparkle though.-