Lokesh Kumar Mishra   (Loci)
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Writing is in my veins!❤
If you love my creations appreciate it by following me.😊
Joined 22 December 2018


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4 JUN AT 2:10

कुछ प्रतीक्षाएं
इतनी
लंबी और मार्मिक हो जाती हैं
की
उनकी
पूर्णता और अपूर्णता कि दशाएं
एक समान हो जाती हैं,
और
जिनकी रिक्तताओं भी
छुपी होती है—
कई पूर्णताएं
और
जिनके समूचेपन कि
ध्वनियों में भी
अधूरेपन की प्रतिध्वनियां
जगह–जगह
प्रतिबिम्बित होती हैं।

© लोकेश कुमार मिश्रा

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12 MAY AT 23:48

मन को जिसने नित उल्लास दिया है,
टीम को जीतने का विश्वास दिया है ।
वही आज यह खेल छोड़ जा रहा है ,
समय एक बड़ी करवट खा रहा है ।

टेस्ट क्रिकेट को जिसने जिलाए रखा,
टीम इंडिया को नंबर वन बनाए रखा ।
टेस्ट खेलने का जिसने 'इंटेंट' सिखाया ,
कैप्टेंसी में 'एग्रेशन' का मतलब बताया।

जो अपने खिलाड़ियों संग खड़ा रहा,
अपनी जीत की जिद पर अड़ा रहा।
मैदान में जिसका हर एक करतब निराला था,
वह सफ़ेद जर्सी का अठारह नंबर वाला था।

जब कभी टेस्ट क्रिकेट की बात होगी,
चाहे जैसे और जहां से शुरुआत होगी —
बीच में कहीं एक 'किंग' का नाम आएगा
जो टेस्ट का सर्वश्रेष्ठ कैप्टन कहलाएगा।

लेकिन अभी बड़ी बात यह है कि उसने
जीवन पर्यंत टेस्ट से अवकाश लिया है
प्रजा डूबी है आज भावनाओं की लहर में
उसके राजा ने टेस्ट से संन्यास लिया है।

© लोकेश कुमार मिश्रा

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12 AUG 2024 AT 1:16

Where are we leading?
Blood from eyes are bleeding
Angel's are now cursed
Quenching wolves' thirst.

Head was smashed
Ribs are broken
In the rain of blood
the doctor was soaken.

What a horrible incident it was !
Leaving all of us in a long pause
How had she struggled last night?
At which point she had lost her sight?

© LOKESH KUMAR MISHRA

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28 NOV 2021 AT 10:43

बुरे दिनों में चेहरे के ताज़गी के लिए,
दोस्त तुझ जैसे जरूरी हैं जिंदगी के लिए!

© लोकेश कुमार मिश्रा

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27 SEP 2020 AT 20:11

From having "single" photo of "her",
To having a "gallery" on her name.
The life started to make sense again.

© LOKESH KUMAR MISHRA

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1 AUG 2020 AT 22:56

I am not scared of "failure" ,
I am scared of the idea of "giving up".

© LOKESH KUMAR MISHRA

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9 JUL 2020 AT 11:18

जब ख़त्म हो जाती हैं
दुनिया कि सारी बातें,
तब याद आने लगती हैं,
यार,बस तुम्हारी बातें!

© लोकेश कुमार मिश्रा

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28 JUN 2020 AT 16:05

विश्वविद्यालय आपका ही नहीं हमारा भी है
इसे अपनी खानदानी रियासत न समझिएगा,
सवाल हमारी जान का है , ज़रूरी है,
हमारी आवाज़ को सियासत न समझिएगा!!

© लोकेश कुमार मिश्रा

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27 JUN 2020 AT 17:07

निर्णय नहीं ये मनमानी है,
बुद्धिजीवियों की नादानी है!
कौन है ये तानाशाही हुक्मरे जिन्होंने
छात्रों को मौत देने की ठानी है?

©लोकेश कुमार मिश्रा

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27 JUN 2020 AT 15:44

अंधा प्रशाशन , गूँगा प्रशाशन , रुखा प्रशाशन
हमारी जान का आखिर क्यों है भूखा प्रशाशन?

© लोकेश कुमार मिश्रा

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