Lokesh Joshi   (यायावर)
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Joined 14 September 2018


Joined 14 September 2018
22 MAR 2020 AT 11:22

किसने सोचा था ऐसा दिन भी होगा,
कि बंद सारा जहां एक कमरे में होगा,
अपने ही कतराते हुए मिलेंगे अपनों से,
कि जंग से बत्तर भी इस दुनिया में कुछ और होगा।

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14 FEB 2020 AT 0:33

अब ये "दिन" हमें मोहब्बत करना सिखाएगा?
समुंदर को तालाब, अब बढ़ना सिखाएगा?
हमने तो कहीं कई गज़लें हैं उसके लिए,
अब ये दिन हमे क्या लहजा़ सिखाएगा?

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28 JUL 2019 AT 18:19

चलो उसे सच बताते है,
हर जो खयाल दिल में है हमारे आज उसे जुबान पे लाते हैं,
हा माना हमने, कुछ कहने से लौट थोड़ी आएगी वो हमारी जिंदगी में,
चलो फिर भी , किस्मत एक बार और आजमाते हैं।

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27 JUN 2019 AT 0:58

मोहब्बत ने हम पर अजब सा सितम है ढा दिया ,
मैं जीना नहीं चाहता , वो मरने नहीं देता।

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25 JUN 2019 AT 23:36

कभी किसी मोड़ पर मिल जाओ तुम तो नजरे चुरा ले ना,
हम बड़ी मुश्किल से इस टूटे हुए, दिल को समेट कर बैठे हैं।

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18 JUN 2019 AT 9:05

जब उसकी जरूरत थी तो वो आया नहीं,
ये मॉनसून तो मोहब्बत से भी बेवफा निकला।

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11 JUN 2019 AT 23:48

मैंने अपनी कलम को कुछ कहते देखा है
अपनी व्यथा उसे बयां करते देखा है

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9 JUN 2019 AT 13:35

आज पूरे देश में आक्रोश, गुस्सा और एक आग दिखाई देती है
पर फिर एक गुड़िया आज मुझे, मोमबत्ती के सहारे दिखाई देती है

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4 JUN 2019 AT 22:29

किसी रोज गली से तो गुजरो हमारी,
ईद का चांद देखने का मन हमारा भी बहुत है।

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3 JUN 2019 AT 9:46

तू खुदा से मिलने के लिए यह खूनी खेल में खेल,
मेरी मान, मां की गोद में लेट और बहिश्त देख।

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