!! मानसिक द्वंद !!
गांव मोहल्ला छोड़ चले थे, अपना घर परिवार चलाने को
नौकरी करने गए शहर में, घर में खुशियां लाने को।
घर छूटा, आंगन छूटा, दुनियां के व्यवहार में
छूट गए सब संगी साथी, चार पैसे कमाने में।
अब अकेले बैठे सोच रहा हूं,क्या फिर से गांव जा पाऊंगा
फिर से उन गलियों में घूमकर, दोस्तों संग समय बिता पाऊंगा
खाई थी साथ निभाने की कसमें हमने, क्या उन्हें पूरा कर पाऊंगा
पैसे भी तो जरूरी है जीवन में, क्या रिश्ते भी निभा पाऊंगा।
असमंजस में है जीवन अब तो, कहां दोराहे पर आ खड़ा हुआ
ये भी सही है, वो भी सही है, इसी दुविधा में हूं पड़ा हुआ
एक चुनूं तो दूजी छुटे, दोनों राहें बहुत जरूरी है
रिश्ते नातों संग जिम्मेदारी, ये भी निभानी पूरी है
इसी द्वंद से घिरा मैं देखो, खुद को ढूंढ ना पाता हूं
दुनियां की आपाधापी में, खुद से ही खो जाता हूं।
दो पल ठहर सोचा था तब, ये कैसी स्थितियां बनाई है
रिश्ते परिवार जोड़े रखने को, उनसे ही दूरी बनाई है।-
मानव रूपी जानवरों का कोई अलग शहर नहीं होता है
वो तो अपने बीच में ही बसते हैं
थोड़ा सा बतलाओ और हां जी भाईजी कहो
फिर अपनी कहानी वो खुद ही कहते हैं
ऐंठ कर चलते हैं, दूसरों को खाक समझते हैं
बात बात पर लड़ते हैं और पड़ोसियों को परेशान करते हैं-
!! तन्हाइयां !!
दर्द देती है यादें तेरी, चहरा सामने आ जाता है
लाल ओढ़नी देखूं तब, दिल मेरा भर आता है
वो बातें, वो मुलाकातें, वो किस्से ताजा हो जाते हैं
जब से बिछड़े हैं हम तुमसे, खुद ही खुद से खो जाते हैं-
!! हादसे और आम जीवन !!
किसकी गलती, किसका षडयंत्र, किसी के बदले की भावना थी, पता नहीं
परंतु बर्बाद हुए जितने परिवार, उनकी कोई गलती नहीं।
पल भर का खेल था सारा, खुशियां सारी सिमट गई
हंसते खेलते परिवार देखो, जिंदगियां कितनी निपट गई।
इतनी जांचे, इतनी तैयारी, इतना प्रशिक्षण फेल हुआ
किसी एक गलती छुपाने को, मानवता के साथ खेल हुआ।
बार बार हादसे होते हैं, हर बार मासूम कुचले जाते हैं
रोते बिलखते हैं सब थोड़ी देर, फिर लोग भूल जाते हैं।
हे ईश्वर हर बार, ये निर्दोष ही क्यूं मारे जाते हैं
जो षड्यंत्रों के रचयिता हैं, वो हंसते मौज उड़ाते हैं।-
!! समय का पहिया !!
एक अरसे बाद मिला उससे, वो बात रही नहीं थी अब
हुस्न का जलवा था शबाब पर, वो बात रह गई तब की तब।
ढलता यौवन, झुके कंधे, उदास चहरा, मायूसी झलक रही थी आंखों में
पंख लगाए उड़ती थी गगन में, अब सारी आशाएं पड़ी थी कोने में।
समय समय की बात है प्यारे, समय का खेल निराला है
किसी को आकाश, किसी को जमीं पर लाए, ये समय बड़ा मतवाला है।-
लगता है जीवन में नया साथी कोई पाया है
पास बैठकर थोड़ा ही सही, अच्छा समय बिताया है
जब कही अपने मन की बात, हल्का खुद को पाया है
उस साथी ने जो बातें बोली, मन तुम्हारा हरसाया है।-
गलतियां करना इंसान का स्वभाव होता है
और मुझसे बार बार गलतियां हो जाती है
दिल का बहुत साफ हूं मैं, लेकिन
साफ सुथरा दिल कोई चाहता नहीं है।-
घोर निराशा में रहकर, जीवन नहीं गुजरता है
स्वयं को दर्द में रखकर, जीवन नहीं संवरता है
जितना निराश मन होगा, उतना कठिन जीवन होगा
प्रफुल्लित मन के उपवन में ही, खुशियों का पल्लव खिलता है
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इस नश्वर संसार में
सुखी नहीं है कोई
जो समझौता करता चले
वहीं सहज उस पार होय।-
हर कोई जी नहीं पाता है जीवन अपने हिस्से का
कुछ लोगों के पास समय का अभाव रहता है, तो
कुछ का जीवन, साथी ढूंढने में निकल जाता है।-