"तुझे समझाया तो है कि शक करती है ये दुनिया,
तू खिड़की पर रह मगर, देखकर मुस्कुराया ना कर"-
Jindgi koi jang nhi hi ise to Pyar se jitenge
बने फिरते हैं लोग यहां खुदा कहीं इसके कहीं उसके
ये लाचार कौन है जिन्हे खुद का रहबर नहीं मिलता-
भूगोल का तो इतना भी ज्ञान नहीं था मुझे
मैंने दुनियां को तेरी बिंदी की तरह कहा था-
लोग करते रहे बात समंदर की मगर,
मैंने डूबने के लिए तेरी आंखों को चुना।
-
रात पर भी बड़ी जिम्मेदारी है जनाब
आसान कहां है किसी का सुकून होना-
इकरार है कि दिल से चाहते है तुम्हें
अगर दिल से माफ करने लगूं...
तो खुदा हो जाऊं ।-
मोहब्बत तो फिर भी ताज तक जा पहुंची,
नफरत से झोपड़ी भी न बनायी जा सकी।-
मैं लोगों से इसलिए भी कम बात करता हूं
कि नाराज न हो जाए कोई,
लोग नाराज हो जाते है मेरे कम बात करने से
-
मैं जिन्दगी में तुम्हारी नकल इसलिए करना चाहता हूं।
क्योंकि मैं चाहता हूं कि मुझे खुद से मोहब्बत हो जाए।-
तुझे चाहने वालों की कमी नहीं है यहां,
मुझे ये न बताया जाय तो अच्छा है।
दुख में तो लेते हैं लोग नाम खुदा का,
मुझे फुर्सत में याद किया जाए तो अच्छा है।
-