यहाँ क़दर नहीं है इंसानियत की।
ये महफ़िल है तुम्हें गिराने वालो की।-
तुम बात हो तो ज़रा बात पे गौर करते हैं
तुम इश्क़ हो तो चलो थोड़ा और करते हैं।
तुम हो वफ़ा तो कबकी ख़त्म हो चुकी हो
इंतज़ार हो तो चलो हर दौर करते हैं।-
वो रंगो वाली होली नही आयी जो रंग बदल जाए हमारा।
यक़ीन न हो तो एक और इम्तिहान लिया जाए हमारा।-
तुम्हारा ज़िक्र मेरी किताब के हर पन्ने पे हैं।
याद है तुम्हें।तुम पूछा करती थी मैं कहाँ हूँ।-
तुम्हें खोना दस्तूर ए इश्क़ था।
तुम्हें याद रखना मेरी चाहत हैं।-
ये सफ़र वही तक था जहाँ तक तुम साथ आए।
अब तो सिर्फ़ हम क़ाफ़िलों की शोभा बढ़ा रहे हैं।
ये जीवन वही तक था जहाँ तक तुम साथ आए।
अब तो सिर्फ़ हम लोगों का तजुर्बा बढ़ा रहे हैं।
ये सवाल वही तक था जहाँ तक तुम साथ आए।
अब तो सिर्फ़ हम अपने जवाब्बो की उम्र बढ़ा रहे हैं।
ये सुकून वही तक था जहाँ तक तुम साथ आए।
अब तो सिर्फ़ हम अपनी बेचैनियाँ बढ़ा रहे हैं।-
तुम वो तो नही हो जो तुम हो। तुम कोई और हो।
वो साँस लाती थी। और तुम सिर्फ़ हवा लाई हो।
तुम वो तो नही हो जो तुम हो। तुम कोई और हो।
वो सवाल लाती थी। और तुम सिर्फ़ शब्द लाई हो।
तुम वो तो नही हो जो तुम हो। तुम कोई और हो।
वो समुंदर लाती थी। और तुम सिर्फ़ बेचैनी लाई हो।
तुम वो तो नही हो जो तुम हो। तुम कोई और हो।
वो मोहब्बत लाती थी। और तुम सिर्फ़ मतलब लाई हो।
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आज भी वो हाल पूछ कर फ़र्ज़ निभा लेते है कभी कभी।
हम भी खुश है उनके साथ कह के जला देते है उन्हें कभी कभी।-
सुनो खिड़की पे पिछली होली का गुलाल रखा है।
मैंने तुम्हारी यादों को कुछ यूं भी सम्भाल रखा है।-
तूफ़ाँ से दुश्मनी हो तो समुंदर नही देखे जाते ।
"जंग" लाजिम हो तो "लश्कर" नहीं देखे जाते ।-