जाने वो कैसे
मुकद्दर की किताब लिख देते है,
सांसे गिनती की
और ख्वाइशे बेहिसाब लिख देते है।।-
मंदिर में भगवान से मांगू
या मस्जिद में उस खुदा से मांगू
बता ना कहा होगी ये मुराद पूरी
में नौ राते माता की भक्ति मे जागू
या रमजान के महीने उस खुदा से नमाजु।।-
यादों की गिरफ्त ने दिल को तबाह कर रखा है
तुम लौट आओ ना इन सांसों ने जीना दुश्वार कर रखा है-
एक ऐसा भी दौर आ गया मेरी जिंदगी के सफर मे
जिन्हे हम खुद से जदा पसंद करते थे
आज उन्ही से नफरत हो गई-
एक दिन ऐसा भी आएगा
जब हम दुनिया छोड़ चुके होंगे
तुमको तो खबर भी नहीं होगी
हम कब का कब्र मे दफन हो चुके होंगे।।-
कब से सोच रहे थे लिखेंगे कोई पैगाम उनको
और बताएंगे की कुछ बात करनी है तुमसे
पर जब कुछ कहना और बताना चाहे उनको
तब उनके अल्फाजों की धुन ने ये बया कर दिया
की अब वो हमको वो नही समझते
जिनसे हम अपना दर्द बाटने आए थे।।-
पहुंच जाऊ उनके दिल तक वो रास्ता बता दें
वो हमारे हो जाए वो जरिया बता दें
कोई तो
ये आखरी दुआ मुकम्मल करा दे— % &-
आंखे नम थी लोगो ने रास्ता बता दिया
वहां हर मुराद पूरी होती है
उम्मीद के धागे बांधे खुदा के दर पे
इस उम्मीद में कि वो मिल जाये हमे
तेरे दर से जबसे खाली हाथ लौटी हू
ना यकीन रहा तुझ पर
ना यकीन रहा तुझे खुदा खुदा कहने वालो पे— % &-
ऐ दिल.....
अब दोबारा किसी को खुद मे बसाने की भूल मत करना
किसी के साथ ख्वाब सजाने की भूल मत करना,
छोड़ जाते हैं लोग जिंदगी के बीच सफर में....
किसी को अपना हमसफर बनाने की भूल मत करना।-
आज उस जैसा एक शख्स मिला
सब कुछ उसके जैसा ही था
पर अफसोस ये वो नही था
जिसके मिलने का मुझे इंतजार था-