मंदिर में भगवान से मांगू या मस्जिद में उस खुदा से मांगू बता ना कहा होगी ये मुराद पूरी में नौ राते माता की भक्ति मे जागू या रमजान के महीने उस खुदा से नमाजु।।
कब से सोच रहे थे लिखेंगे कोई पैगाम उनको और बताएंगे की कुछ बात करनी है तुमसे पर जब कुछ कहना और बताना चाहे उनको तब उनके अल्फाजों की धुन ने ये बया कर दिया की अब वो हमको वो नही समझते जिनसे हम अपना दर्द बाटने आए थे।।
ऐ दिल..... अब दोबारा किसी को खुद मे बसाने की भूल मत करना किसी के साथ ख्वाब सजाने की भूल मत करना, छोड़ जाते हैं लोग जिंदगी के बीच सफर में.... किसी को अपना हमसफर बनाने की भूल मत करना।