कहीं बाहर खड़ा है सवेरा
बस खाने कमाने के चक्कर से
हर तरफ छाया हुआ है अंधेरा-
ललित बूमरा
(ललित बूमरा "लवली")
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मैं बस सीखने की कोशिश में लिख रहा हूँ
गर तुम्हे अच्छा लगे तो उत्साह ज... read more
मैं बस सीखने की कोशिश में लिख रहा हूँ
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Joined 23 April 2018
19 AUG AT 11:51
मैं फूलों से कहना चाहूंगा
कि आप तो बस मुस्कुराया करो
बाकी आपको देख देखकर
खुश होना ही मेरा काम है-
18 AUG AT 0:15
मेरे भी जहाज उड़ते थे
मेरे भी बसें ट्रक चलते थे
वो दिन बचपन के थे
जब मैं अमीर होता था
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