कलम की पहचान भी इन हाथों से थी
स्याही का रंग तो हर रोज़ बदलता है।-
चार लोगों से मेरा हाल पूछ
एहसान चुकाया जा सकता है
हिसाब नहीं।-
थोड़ी हलचल थोड़ी नज़ाकत थी
लफ्ज़ों पर उनके कुछ शिकायत थी
मैं ठहरा वो शर्माने लगी
कोई पूछे ये बादलों की क्या शरारत थी
बेताबी बेकरारी सब अपनी जगह थी
उस खुशनुमा चेहरे से ये पहली मुलाकात थी
शब्दहीन ये दिल सागर था उल्लास का
पल दो पल अश्कों को प्यास बस आंचल की थी
हाथों में कंपन आंखें झुकने लगी थी
मानो तो मोहब्बत उन्हें भी थी।
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खुशियों का हिसाब चुकाना मजबूरी थी
वरना हंसते हुए मुर्दे हमने भी बहुत देखे हैं।-
मैं खामोश हूं खुदगर्ज नही
छलकते अश्कों में तेरे बह मेरी कुर्बानी रही
मगर तेरा कोई दोष नहीं,
शायद होठों में लिपटे ये कहानी रहे
मगर जुबां की बात बाहर आनी नहीं,
फर्क तेरे प्यार या साहस मेरे का रहे
किस्मत कभी लौट कर आनी नहीं।-
Time catalyzes the transformation of humans into resources.
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कुछ वादें अब मंजूर नहीं
कुछ रिश्ते अनजान है
ये तेरी या मेरी पसंद नहीं
यहां हर शक्श हुस्न पे कुर्बान है।
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कभी तकलीफों को अपना समझ
रख लिया करो
न जाने किसकी सांसों को
पनाह मिल जाए।-