आ कर ख़यालों में मेरे, सारा जहाँ बेखयाल कर जाती हो
हमें भी सिखा दो हुनर, कैसे यह कमाल कर जाती हो
किरदार व लफ्जों में मेरे, कुछ ऐसे तुम ढल जाती हो
बात जब भी करता हूँ तुम्हारी,
तुम ग़ज़ल बन जाती हो...!!-
इश्क मेरा महका, मुरझाया और फिर बिखर गया,
एक अनमोल लम्हें जैसा था, जो गुजर गया,
इश्क उनका भी चांद जैसा था,
पूरा हुआ और घट गया....!!-
हमारे प्यार की किताब के
वो सारे पन्ने मोड़ रखे हैं मैने,
यदा कदा मिलना हुआ
तो वही से शुरूआत होगी।
यूं तेरा रूठना, मनाना और
फिर खामोश हो जाना,
उन सारे पलों को जोड़ रखे हैं,
तेरी गलियां,चाय और बेतुकी बातें
एक अरसे से छोड़ रखे हैं मैंने,
जब भी हम मिलेंगे दोबारा तो
फिर वही से शुरूआत होगी-
अंधेरे में चमका, बन कर सितारा,
दलितों के हृदय का, बन गया सहारा।
ज्ञान की मशाल से, किया जग उजियारा,
संविधान रचकर, मिटाया अँधियारा।
समता का संदेश, घर-घर पहुँचाया,
अधिकारों की रक्षा का, अलख जगाया।
युगों तक रहेगा, उनका यह नाम,
भारत की प्रगति का, अनमोल पैगाम।-
बिना लफ्ज़ के, रूह हो तुम
एक लफ्ज़ में, हो तुम जान
दो लफ्जों में सुखद अहसास,
तीन में मनमोहक चांदनी रात,
कई लफ्जों में, पिरो दूं गर तुम्हें
मिल जाए जन्मों जन्मों का साथ-