लेखराज बोस   (Niralekh)
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Be human 😊
Joined 20 May 2021


Be human 😊
Joined 20 May 2021
21 JUL 2022 AT 8:45

थोडी आँच बची रहने दो थोडा धुँआ निकलने दो
तुम देखोगी इसी बहाने कई मुसाफिर आयेंगे

फिर अतीत के चक्रवात में दृष्टि न उलझा लेना तुम
अनगिन झोंके उन घटनाओं को दोहराने आयेंगे

रह-रह आँखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरी
आगे और बढे तो शायद दृश्य सुहाने आयेंगे

मेले में भटके होते तो कोई घर पहुँचा जाता
हम घर में भटके हैं कैसे ठौर-ठिकाने आयेंगे

~दुष्यंत कुमार

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14 APR 2022 AT 4:20

जिंदा हूं दुआओं पर, दुनिया जानती क्या है?
मैं हाजिर हूं तेरे हुजरे में , गर तू याद करती है।

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4 FEB 2022 AT 13:47

ये इस जन्म और उस जन्म की बातें,
छोरे! अभी जीले कि अभी जीना है।— % &

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17 JAN 2022 AT 14:37

तेरी निगाहें
Read the full song in the caption.

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3 JAN 2022 AT 14:20

जिसने पहला पांव रखा हों,
भारत की नारी शिक्षा के,
अधर झूलते वीराने में।
जिसने पंख दिए सपनों को,
भारत की हर नारी के।
मेरा सादर नमस्कार है🙏
सावित्री मां के चरणों में।

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1 JAN 2022 AT 20:21

आपंकी नजरों ने देखा
आपकी नजरों में जो था
देखते गर ......

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25 DEC 2021 AT 17:09

चयन किया है अपने दिल से,
सच्चाई को जीने का।

झूठ अगर निकले मुंह से तो,
थू है मेरे जीने पर।

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2 DEC 2021 AT 10:57

कभी शुरू कहीं खत्म ये हमारी जिंदगी!
राम अब नहीं आते शबरी के रास्ते!

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30 NOV 2021 AT 20:03

जला दी एक रोटी तवे पर आज हमने!
हम इतने अलगरजी ना होते,
सर्द रातों में ग़र खेत सम्हाले होते।।

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30 NOV 2021 AT 19:32

इक पत्ता टूटा गिरा जमीं पर, हुआ हवा का संगी।
मैं ना जानूं तेरी सोहबत, झूठी है या सच्ची ।।

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