थोडी आँच बची रहने दो थोडा धुँआ निकलने दोतुम देखोगी इसी बहाने कई मुसाफिर आयेंगेफिर अतीत के चक्रवात में दृष्टि न उलझा लेना तुमअनगिन झोंके उन घटनाओं को दोहराने आयेंगेरह-रह आँखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरीआगे और बढे तो शायद दृश्य सुहाने आयेंगेमेले में भटके होते तो कोई घर पहुँचा जाताहम घर में भटके हैं कैसे ठौर-ठिकाने आयेंगे~दुष्यंत कुमार -
थोडी आँच बची रहने दो थोडा धुँआ निकलने दोतुम देखोगी इसी बहाने कई मुसाफिर आयेंगेफिर अतीत के चक्रवात में दृष्टि न उलझा लेना तुमअनगिन झोंके उन घटनाओं को दोहराने आयेंगेरह-रह आँखों में चुभती है पथ की निर्जन दोपहरीआगे और बढे तो शायद दृश्य सुहाने आयेंगेमेले में भटके होते तो कोई घर पहुँचा जाताहम घर में भटके हैं कैसे ठौर-ठिकाने आयेंगे~दुष्यंत कुमार
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जिंदा हूं दुआओं पर, दुनिया जानती क्या है?मैं हाजिर हूं तेरे हुजरे में , गर तू याद करती है। -
जिंदा हूं दुआओं पर, दुनिया जानती क्या है?मैं हाजिर हूं तेरे हुजरे में , गर तू याद करती है।
ये इस जन्म और उस जन्म की बातें,छोरे! अभी जीले कि अभी जीना है।— % & -
ये इस जन्म और उस जन्म की बातें,छोरे! अभी जीले कि अभी जीना है।— % &
तेरी निगाहेंRead the full song in the caption. -
तेरी निगाहेंRead the full song in the caption.
जिसने पहला पांव रखा हों,भारत की नारी शिक्षा के,अधर झूलते वीराने में।जिसने पंख दिए सपनों को,भारत की हर नारी के।मेरा सादर नमस्कार है🙏सावित्री मां के चरणों में। -
जिसने पहला पांव रखा हों,भारत की नारी शिक्षा के,अधर झूलते वीराने में।जिसने पंख दिए सपनों को,भारत की हर नारी के।मेरा सादर नमस्कार है🙏सावित्री मां के चरणों में।
आपंकी नजरों ने देखा आपकी नजरों में जो थादेखते गर ...... -
आपंकी नजरों ने देखा आपकी नजरों में जो थादेखते गर ......
चयन किया है अपने दिल से,सच्चाई को जीने का।झूठ अगर निकले मुंह से तो,थू है मेरे जीने पर। -
चयन किया है अपने दिल से,सच्चाई को जीने का।झूठ अगर निकले मुंह से तो,थू है मेरे जीने पर।
कभी शुरू कहीं खत्म ये हमारी जिंदगी!राम अब नहीं आते शबरी के रास्ते! -
कभी शुरू कहीं खत्म ये हमारी जिंदगी!राम अब नहीं आते शबरी के रास्ते!
जला दी एक रोटी तवे पर आज हमने!हम इतने अलगरजी ना होते,सर्द रातों में ग़र खेत सम्हाले होते।। -
जला दी एक रोटी तवे पर आज हमने!हम इतने अलगरजी ना होते,सर्द रातों में ग़र खेत सम्हाले होते।।
इक पत्ता टूटा गिरा जमीं पर, हुआ हवा का संगी।मैं ना जानूं तेरी सोहबत, झूठी है या सच्ची ।। -
इक पत्ता टूटा गिरा जमीं पर, हुआ हवा का संगी।मैं ना जानूं तेरी सोहबत, झूठी है या सच्ची ।।