लेखनी कीर्ति की   (लेखनी कीर्ति की)
211 Followers · 21 Following

Physiotherapist & writer
Joined 4 February 2020


Physiotherapist & writer
Joined 4 February 2020

मै कह न सकी तुमने सुन ली, ये प्रेम की परिभाषा है।
आंखों से मन को पढ़ लेना, ये ख़ामोशी की भाषा है।।

-



किसी से आस क्या रखना, जगत पूरा व्यथा सपना।
बुदबुदे जल से सब बंधन,भरोषा हरि नाम पर करना।।

-



जो आपको नही समझे उसे समझाने मे समय व्यर्थ नही करे,
क्योंकि उसे आने वाला वक्त आपकी सच्चाई स्वयं समझा देगा।

-



न रूके सिलसिला ग़ज़लों का गज़ल बनती रहे।
गज़लों का सिलसिला बढ़ाने को,फिर एक गज़ल और कही........

-



मेरे प्रेम का स्पर्श हो तुम
ख़्वाबों की ताबीर हो तुम
जिन्दगी की तलाश हो तुम
और प्रीत साक्षात हो तुम

-



ego can be break by self then can be winner

-



रात को आने दो, रात आने को है आज तो
कल फिर कोई, ख़ुशनुमा आस्मां मेरा होगा।
काली निशा मे, न तेरे साथ को है आज तो,
कल फिर कोई, इक हाथ थामां मेरा होगा।
ख़्वाब, महफ़िल, फंसाने, जमाने थे संगदिल,
मिलावट का सफर, न प्रीत कारवां मेरा होगा।
जुगनूओ की रोशनी, है बनी घरो की रौशनी,
कल फिर कोई सूरज, बना दिया मेरा होगा।

-



अलग सा नशा है, तेरी आखो मे श्यामा,
झूम ही जाऊँ मै, जब लू तेरा प्रिय नामा।।
जिन्दगी अधूरी, बिना दरसन तेरे कान्हा,
जगत स्वप्न लागा, जब से सिमरन ठाना।।

-



दूसरो की बुराई आसान है, स्वयं की कमियों की सफाई अत्यंत कठिन है।।

-



मेरे प्रेम का स्पर्श हो तुम
ख़्वाबों की ताबीर हो तुम
जिन्दगी की तलाश हो तुम
और प्रीत साक्षात हो तुम

-


Fetching लेखनी कीर्ति की Quotes