तुम पर कोई कविता
कैसे लिख सकती हूं
लिखी हुई कविताओं को
तुम संग जी जो रही हूं......
- लेखनी रंग ❤️
- प्रिया बंदेवार 🌻
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वहाँ मेरी लेखनी सब कह जाती है...
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अगर रब तुम्हें कुछ देने में कमी रखता है,
तो आभारी रहो उसके,
वो कभी तुम्हारी जिन्दगी में
खुद की कमी नहीं होने देगा
क्योंकि अक्सर जिनको सब
मिल जाता है,
उनसे रब छूट जाता है..…....
- लेखनी रंग ❤️
- प्रिया बंदेवार 🌻
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ये समाज,ये लोग तुम्हें सुने जाने के लिए नहीं सुनेंगे
बल्कि सही या गलत ठहराने के लिए सुनेंगे
फिर भी,तुम कहना मत छोड़ना
- लेखनी रंग ❤️
- प्रिया बंदेवार 🌻-
जिन पेड़ो की जड़े मजबूत होती है,
जो घने,झुके और भार सहना जानते हो,
उन्ही पेड़ों के तले पंछी
खेलते है,
खुश रहते है,
स्वयं के हिस्से का जीते है।
-लेखनी रंग ❤️
-प्रिया बंदेवार🌻
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हर जुर्म हर गलती हर गिला सौ-सौ बार याद आता है
गुरूर के बाद एक वक़्त ऐसा भी आता है,
उस खुदा के आगे वो हज़ार बार हर रोज़ गिड़गिड़ाता है,
पर पछताने के अलावा इंसान के पास कुछ न रह जाता है,
खुदा माफ करना भी चाहे तो कैसे कर दे,
उसके सामने तो तुम्हारे कर्मो का हिसाब आ जाता है,
बहुत बारीकी से चलना यारों,
इस रब की बनायी अदालत में
यहाँ देर-सवेर ही सही
सबके हिस्से का न्याय हो जाता है......
-लेखनी रंग❤️
- प्रिया बंदेवार 🌻
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मेरा ह्रदय अब तुमसे प्रेम नहीं चाहता,
बल्कि दुःख चाहता हैं,
क्योंकि मैं समझ चुकी हूं,
प्रेम से जीवन सुखद बनता हैं
और दुःख से श्रेष्ठ......
- लेखनी रंग ❤️
- प्रिया बंदेवार 🌻-
दुनिया तो,जी नहीं कहने वाली औरतें बनाती है,
जी हां,कहने वाली तो सिर्फ दुनिया को चलाती है.....
- लेखनी रंग ❤️
- प्रिया बंदेवार 🌻-
तुम्हारे और मेरे प्रेम में अंतर बस इतना था,
तुमने प्रेम में दुखों को तलाशा और मैने,
दुखों में भी प्रेम ढूंढना सीख लिया,
इसलिए शायद तुम प्रेम में रहे और
प्रेम,मुझमें रह गया........
- लेखनी रंग ❤️
- प्रिया 🌻-
वहां मिट्टी ना होना,जहां
तुम्हारे मिट्टी होने को मिट्टी मान लिया जाए,
वहां मिट्टी होना,जहां
तुम्हारे मिट्टी होने को सोना मान लिया जाए.....
- लेखनी रंग ❤️
- प्रिया बंदेवार 🌻-
जिस दिन से दुनिया समझ आने लगती है,
उस दिन से बाप भी समझ आने लगता है.....
- लेखनी रंग ❤️-