हर पहर ने एक अदब सलीका फ़रमाया है,
उगते सूरज से आलोकित कर ,
प्रकृति ने इसे ढलती शाम में पिरोया है।
दिनों की रोशनी में अंगारों सा सजाया है,
रातों ने चमकते तारों को झंकृत कर दिखाया है।
पक्षियों ने डाल डाल पर बैठ गीत ये गुनगुनाया है,
भंवरों ने फुलों को मधुर संगीत सुनाया है।
भावविभोर इस दिन को बाखूबी पहरो में अलंकृत करवाया है,
हर पहर ने एक अदब सलीका फ़रमाया है।।
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