LEESHA BHARDWAJ  
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Joined 28 June 2019


Joined 28 June 2019
15 APR AT 21:57

लूट गया बिक गया मेरा सब कुछ
रईस हूँ मैं गर मेरे पास तू बाकी है
किसने छोड़ा कौन रुका, क्या फर्क पड़ता है
सब हैं इर्द गिर्द गर मेरे पास तू बाकी है |

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19 JUL 2021 AT 11:58

इस कुरान-ए-इश्क़ का सजदा करूँ रोज़
जो मैं उर्दू तो तुम उर्दू में लिखी आयत हो|

ज़ब पढ़ी तेरे हुस्न की नज़्म दिल मचल उठा
मेरी जान!!!!!!!!!!! तुम तो बड़ी क़यामत हो|

तेरी नज़रों को लिखूँ इबादत की स्याही से
हर्फ़ दर हर्फ़ पढ़लूँ निगाहें जैसे कोई तिलावत हो|

नज़रों में समाकर सुलझी जुल्फों को उलझना हर दफा
समझ से परे मेरी,जाना!तुम तो उलझी सियासत हो |

पढ़ी जो तेरी ग़ालिब सी नज़्में, निगाहों से जिगर तक उतरी
इन शायरों की महफ़िल में तुम नज़्मों की रिवायत हो |

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7 JUL 2021 AT 16:25

मुरलीधर की उँगलियों से ज़ब प्रीत रचाई बंसी ने
सरगम की साज से कदम्ब की कालियाँ खिलाई बंसी ने
वेणु के अधर से अधर मिला जो निभाया प्रेम कनहैया ने
तब बस कान्हा कान्हा ही तो आवाज़ लगाई बंसी ने|

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30 JUN 2021 AT 17:32

मैं भूली भटकी सी गली कोई
तुम अंग्रेजी राज के कोई प्रान्त प्रिय
मैं रद्दी में पड़ी कोई अनदेखी पत्रिका
तुम हज़ारों का सपना लष्मीकांत प्रिय ❤

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18 JUN 2021 AT 17:51

पांचाली (भाग:-3)🙏



अनुशीर्षक आपकी प्रतीक्षा में🙏

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8 JUN 2021 AT 18:05

पांचाली भाग:-2🙏



(अनुशीर्षक आपकी
प्रतीक्षा में)

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2 JUN 2021 AT 9:58

द्रुपदनंदिनी अर्थात "द्रौपदी"
🙏






(अनुशीर्षक आपकी प्रतीक्षा में )

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30 MAY 2021 AT 7:12

सोच रही हूँ आज उसकी आँखों का सजल लिखूँ
आज कलम से नहीं उससे ही उसपर गजल लिखूँ|

(Read in caption)
🌸

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21 MAY 2021 AT 15:27

न बदलना है न सम्भलना है
बस जैसी हूँ वैसी रहना है
मुझे अपनी नज़्म का हर एक
लफ्ज मुक्त बेफिक्र हो कहना है
इन रीत-रिवाजों को फकत
फ़िजूल किताबी ज्ञान करके
हवा का इक झोंका बनकर
मुझे अपनी रवानी में बहना है... ❤

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5 MAY 2021 AT 18:20

ज़ब-ज़ब नज़रों ने सूरत तुम्हारी निहारी है,
जाना,मेनका सी तुम में क्या खूब अदाकारी है,
जो भी देखे तुम्हारे नैनों की झील में डूब जाये,
जाने ये किस खुदा की नायब चित्रकारी है|

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