LAXMI B.JAKHAR   (Lux)
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Joined 24 April 2018


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Joined 24 April 2018
26 DEC 2024 AT 22:16

ऐसा तो मैं नहीं कहूंगी,
परेशान कर दिया है तूने,
ये भी सही न होगा कहना,
ह्म्म,
क्या जी भर जी लिया है तूने, ये जरूर पूछूंगी,
या भूल गई है कि सोना, जागना,
फिर सोना फिर जागना फिर.....
इन सबसे अलहदा भी है तू कहीं,
मैं गुम हूँ या तू गुमशुदा
बस यही सवाल है तुझसे जिंदगी...

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17 AUG 2024 AT 12:20

जो जीत ना सके उसका दुख बड़ा है,
उससे जो हार गया,

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26 AUG 2023 AT 21:52

मेरा दिल कहता है,
रो लू जी भर जो तू आराम दे,
हंस लूँ जी भर जो तू थाम ले,
खाली हो जाऊं पूरी जो तू समेट ले,
उतावली हो जाऊं बावळी जो तू केवट ले,

मेरा दिल कहता है,
जी लू जी भर जो तू साथ दे.....

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8 DEC 2022 AT 21:38

कुछ बातें अधूरी ही मुकम्मल होती हैं,
अल्फाज़ मिल जाएं गर उन्हें
तो ख़्वाब अधूरे-सी बिसर जाती हैं।

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21 OCT 2022 AT 21:13

तो कल लिए दिये की जोत कर लूं,
शायद एक शाम मैं खुश होकर जी लूँ,

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13 SEP 2022 AT 19:16

" and there are days, I feel urge to push you away from me,
and
still on those days, I miss you looking at me,
I miss you, seeking doorway into my eyes....."

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11 SEP 2022 AT 21:18

Filled with something (feeling) to the brink.

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27 AUG 2022 AT 21:43

I'm mourning the me,
and you don't know that me,
I'm happy mourning
and revisiting the places where I was me,
Leave me alone today,
I'll meet you tomorrow with the me that you know.

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26 AUG 2022 AT 23:22

उसके भी मन में
जो खिलखिला कर हँस रहा है,
या जो अंधेरे में बैठा है एक दिया जला कर ,
महफ़िल में जाम लेकर बैठा है
या छत पर खड़ा है आसमान को निहारते,
पर दिखती किसी को नहीं,
सुनता कोई नहीं
सिवाय उसके जो खुद ये भाषा बोल रहा हो।

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13 AUG 2022 AT 22:05

रुक गयी हूँ मैं कँही,
तुम देखते हो चल रही हूँ,
लेकिन मैं तो पीछे ही खो गयी कँही,

जाने क्या बात है,
जो कह रही हूँ मैं,
वो मैं हूँ नहीं और जो मैं हूँ
वो तुम देखते नहीं।

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