मनुष्य रहते मोह का त्याग ,
कहाँ हो पाता
अंत काल में भी मोह ,
मोक्ष का सताता
पर इस परममोक्ष के मोह से भी भारी
कलयुग में कुर्सी का मोह
सबको निगलता जाता
सबको निगलता जाता
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From - Bihar ...
Age - 33
Birthday_18 feb
Book writt... read more
जहाँ सबसे ज्यादा बदलाव की जरूरत ,
वो बदलाव
वहाँ तक कभी नहीं पहुँच पाता !
वो रह जाता !
सिर्फ कुछ बड़े लोगों के लिखे में ,
कुछ बड़े मंचों के भाषणों में ,
और सबसे ज्यादा नेताओं के
वादों में
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अंतरात्मा जब लबालब .....
भर जाता पीड़ाओं से.......
तब ये नमकीन पानी ......
हॄदय से आंखों की ओर....
अनंत की यात्रा तय कर ....
गिर पड़ते यत्र तत्र.....-
अच्छाई वो खुशबू है
जो आपको महकाती है
जीवन की बगिया में
सबसे अलग दिखलाती है
किसी के दुःख में
खुद दुःखी हो जाती है
बढ़कर आगे हाथ मदद का
वो बढ़ाती है
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संविधान और राष्ट्र को
तुम अलग न करो
हिन्दू ,मुस्लिम
कभी जात पात
कभी मजहब न करो
संग पढ़ो ,संग बढ़ो
संग राष्ट्रहित निभाओ
दुश्मनों के बहकावे में
कभी देश के विरुद्ध न लड़ो
आओ सब मिलकर एक प्रण
लेते हैं
संविधान के हर नियम का पालन करते हैं
सब पिछड़ों को मुख्य धारा से जोडतें हैं
संग एक सुनहरे ,समृद्ध
भारत का निर्माण करतें हैं
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मैं दुनिया में तो हूँ पर मुझमें कोई दुनिया नहीं
रोज सफर में तो हूँ पर सच है कोई मंजिल नहीं
मुझको जानने वालें तो हैं हर जगह है मौजूद
पर समझे जो जज़्बात मेरे दुनिया में ऐसा एक शख़्स नहीं..-
तुम जिसे मेरी तरक्की समझ रहे हो ..
ये बस मेरे गम को छिपाने का हुनर है..-
कुछ हृदय जीवन भर
उलाहने देने के इंतजार में रहतें
कि क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी
पर विवशता देखिये ऐसे लोगों कि
इन्हें कभी भी संवेदनायें नसीब नहीं होती
जीवन के किसी भी विषम परिस्थिति में...
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डॉक्टर के क्लीनिक और कचहरी
इन दो जगहों से इंसान
को परहेज नहीं बहुत परहेज
करना चाहिए
ये एक घुन की तरह
एक घर को आर्थिक रूप से अपाहिज़ कर देता
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मेरा खोया मुझको मिल गया तो
मेरी अधूरी कहानी पूरी हो जाएगी
ये उलझी पहेली फिर सुलझ जाएगी-