सोचता हूँ दोस्ती पे क्या लिखूँ,
मेरा जी करता है सारा जहाँ लिखूँ,
साँसों के लिये जरूरी है जो फिज़ा लिखूँ,
दोस्त जिंदगी है तो दोस्ती को क्या जान लिखूँ ,
कोई कहानी ,शायरी या कोई कविता लिखूँ,
दोस्ती को जमीं लिखूँ या आसमां लिखूँ,
जो जाँ के साथ जाये ऐसी कोई वबा लिखूँ
या फिर दोस्त को दोस्त का खुदा लिखूँ ,
थक जाये कलम लिखते लिखते इतना लिखूँ
पर आखिर इतना सब मैं कहाँ लिखूँ,
किसी ने दोस्ती को प्यार कहा तो किसी ने भाईचारा,
अब तुम ही बताओ ना मै किसका कहा लिखूँ
सोचता हूँ दोस्ती पे क्या लिखूँ,
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