तुम जब देखती हो आईना
उसमे तुम ख़ुदको देखती हो
जब मैं होता हूँ रूबरू आईने से
उसमे मुझे बस तुम दिखती हो
मोगरा गुलाब की खुशबू
तुम अपनी सांसो में भरती हो
मैं तो सांस भी लेता हूँ
बस तुम्हारी खुश्बू महकती है
क्या कर सकती हो तुम
मुझसे ,मुझ जैसी मोहब्बत
तुम उतनी तो खुद की भी नहीं
जितनी मेरी हो,,,,, मुझमे रहती हैं ।
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