Lawrance Johnson   (#JOHNSON)
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Joined 12 July 2018


Joined 12 July 2018
9 NOV 2021 AT 12:11

तुमने देखा होगा,
बादलों से लुका-छिपी खेलता चाँद
सितारे संग इठलाता चाँद
कभी दरिया में चमकता चाँद
कभी घटता ,कभी बढ़ता चाँद
पेड़ो की टहनियों में अटका चाँद

मैने देखा है
मां की गोद मे महफूज सुस्ताता चाँद
भाई की कलाई में मुस्कुराता चाँद
पापा की उंगली पकड़के फुदकता चाँद
करवाचौथ की थाली में उम्मीद संजोता चाँद
बुरे वक्त में दोस्त के कांधे में हाँथ रखता चाँद

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14 AUG 2021 AT 12:10

तुम जब देखती हो आईना
उसमे तुम ख़ुदको देखती हो
जब मैं होता हूँ रूबरू आईने से
उसमे मुझे बस तुम दिखती हो

मोगरा गुलाब की खुशबू
तुम अपनी सांसो में भरती हो
मैं तो सांस भी लेता हूँ
बस तुम्हारी खुश्बू महकती है

क्या कर सकती हो तुम
मुझसे ,मुझ जैसी मोहब्बत
तुम उतनी तो खुद की भी नहीं
जितनी मेरी हो,,,,, मुझमे रहती हैं ।

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11 AUG 2021 AT 20:59

मां ने मामा कहकर लोरिया गायीं है चाँद पर
तो किसी की मां ही रहती है चाँद पर

किसी कवि के शिकवे सुनता रहा रातभर
तो किसी शायर की गजल बसती है चाँद पर

गर दुआ है तो हजार तोहमते भी है
इश्क का नूर है बेवफ़ाई की गवाही है चाँद पर

सूरज से उधार की रोशनी लेकर कर्जदार हो गया
सितारों को संग रखने का बोझ भी है चाँद पर

कहीं ईद तो कही, कहीं करवा चौथ की जिम्मेदारी
किसी को नूर ,किसी के लिए बस दाग ही हैं चाँद पर

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20 JUL 2021 AT 21:46

रात तब भी नही रुकती थी अब भी गुजर ही जाती है
पहले,तुमको देखा करता था अब चाँद तका करता हूँ
#feelings of johnson

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19 JUL 2021 AT 21:31

ये जो गिलाफों में नमी हैं ना
कल रात तेरी यादों का
कारवां गुजरा था
अश्को ने आंखों का साथ छोड़
तकिये पर डेरा डाल लिया था

गर कुछ लौटाना ही चाहते हो
तो बस इतना करना
मेरे बैचेन दिन का सुकून
रातों की नींद ले आना

और न लौटा सको तो
तो तुम कर्जदार रहोगे मेरे
कई दिन कई रात
और मेरे ईमानदार एहसास
तुम पर उधार है ।

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19 JUL 2021 AT 14:23

मौन हृदय के सारे खिड़की दरवाजे बंद कर देता है
ये बाते ही हैं जो कोई न कोई सुराख ढूंढ ही लेती है
#Johnson

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18 JUL 2021 AT 23:55

टूट कर चाहना औऱ ,फिर बिखर जाना
इश्क़ का हांसिल यही ,रवायत भी यही
#johnson

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14 JUL 2021 AT 12:28

कुछ वक्त जब उनकी कमाई पे जीया,
तब जाना
मर्द की कमाई में लानते नही होती
#johnson

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12 JUL 2021 AT 1:58

यक़ीनन ही ये आलम ए मसर्रत हैं J
कि तुम लौट आना चाहते हो
अपने गुरुर की दहलीज पार कर
एक बार फिर तुम मेरे हो जाना चाहते हो O

अपनी गलतफहमियों को
अश्को में बहाकर
और शिकायतों को अपनेपन के H
कदमो से रौंदकर
फिर एक शुरुआत करना चाहते हो

वो तेरा एहसास जिसे हमने N
तमाम एहतियात के साथ
अपनी यादों की अलमारी में
बहुत करीने से सजाकर
खामोशी का ताला लगा दिया था S

तेरी ख्वाहिश की वो चाभी
न जाने कहाँ रखकर भूल गया हैं हम
एक बार फिर ख़ुदको झुकाकर
ढूंढने की कोशिश करते हैं
हाँसिल करते ही इत्तला करेंगे । O

तब तक तुम
अपने लफ्जो और बेरुखी से हुए
जख्मो के लिए कोई मरहम
तलाश करने की
कोशिश करना । N

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9 JUL 2021 AT 15:34

वो समझते है ही मुझे कुछ समझ नही आता
और मैं खामोशी से देखता हूँ उनको फरेबी होते हुए

मुमकिन है पहाड़ से गिरकर भी कोई उठ खड़ा हुआ हो
मगर देखा नही किसी को नजरो से गिरकर उठते हुए

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