Lavish   (Lavish)
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Joined 14 May 2020


Joined 14 May 2020
28 APR 2021 AT 1:39

क्या लिखता है वो भी मेरी तरह
तेरी जुल्फ तेरी आंखे तेरा हुस्न इस तरह
क्या पढ़ती हो तुम उसे भी दिल थाम कर
क्या दिखता है वो भी मेरी तरह ।

क्या करता है इंतजार वो भी मेरी तरह
एक एक लम्हा सागर हो इस तरह
तेरी आवाज की बस चाह में
क्या जागता है वो भी मेरी तरह ।

क्या लड़ता है वो भी मेरी तरह
क्यों कब कहा और कैसे बस इस तरह
तेरे रूठने पर मनाने तुझे
क्या लौट आता है वो भी मेरी तरह ।


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4 APR 2021 AT 18:28

उसके दिल में अब कहाँ हूँ मैं,
यादों से भी निकाला गया हूँ मैं,
किस बात का है हंगामा अब,
बेवजह बस चर्चा में रहा हूँ मैं।

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28 MAR 2021 AT 1:34

खुला असमान है तेरा


मुस्कान तेरी चाँदना है मेरा
चेहरे का नूर चाँदनी सा तेरा
सपनों को पूरा करने की ख़्वाहिश
उड़ना है तुझे खुला आसमान है तेरा

कोशिश का पाठ पढ़ाना मेरा
नन्हें हाथों से ख़्वाब सजाना तेरा
सपनों को पूरा करने की ख़्वाहिश
उड़ना है तुझे खुला आसमान है तेरा

शहद सी है बोली तेरी
पंछियों सा चह-चहाना तेरा
सपनों को पूरा करने की ख़्वाहिश
उड़ना है तुझे खुला आसमान है तेरा

जब जब आए राह में अंधेरा
हिम्मत का पाठ याद करना मेरा
पार करना मुश्किलें जो आए हज़ार
उड़ना है तुझे खुला आसमान है तेरा

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14 MAR 2021 AT 1:48

कभी तो सताती होगी, चहरे पर जब तेरे आती होगी ।
बे-अदब ये ज़ुल्फें तेरी,
याद मेरी दिलाती होगी ।

जब किसी से लडती होगी, और फिर झुक जाती होगी ।
ये बे-खौफ़ निगाहें तेरी,
याद मेरी दिलाती होगी ।

जब जब लगाती होगी, मेरे दिल का रंग मिलाती होगी ।
सुर्ख लाल तेरे लबों की लाली,
याद मेरी दिलाती होंगी ।

जब अंचल अटकाती होगी, मुस्किल तुम्हें फिर आती होगी ।
कलाई की घड़ी वो तेरी,
याद मेरी दिलाती होंगी ।

छम-छम आवाज़ जब आती होगी, नाम मेरा सुनाती होगी ।
चांदी की वो पायल तेरी,
याद मेरी दिलाती होंगी ।

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25 FEB 2021 AT 2:40

गलती एक ढूंढ रहा था वो
वजह दूर होने की सोच रहा था वो
परवाह कहा थी अच्छाइयों की उसे
खेल कोई शायद खेल रहा था वो

अजनबी सा हो गया था वो
कंजूस बातों का हो गया था वो
मैंने दौलत दिल की दी उसे
पर गैरों से भी गैर हो गया था वो

किताब का मेरी पन्ना था वो
कहानी का मेरी हिस्सा था वो
पढता भी तो कैसे मुझे
शायद कोई अनपढ़ था वो

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9 DEC 2020 AT 2:24

वो पल भी क्या खुब था ।
जब मेरी बाहों में तू था ।
आँखों में था चेहरा तेरा ।
और लबों पर तेरा नाम था ।

यादें बनाई थी मिल कर ।
संभाला उन्हे बस वो मैं था ।
तुझसे ही थी खुशियाँ मेरी।
तुझे कुछ पता ही कहा था।

दिल ने किया एक फैसला ।
तुझसे कोई ना अब वास्ता रहा ।
निकाल फेंका तुझे यादों से अपनी ।
तुझे याद करना भी अब फिज़ूल था ।

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13 NOV 2020 AT 4:21

जानता हूँ याद तो करती होगी वो मुझे I
जैसे कर रहा हूँ याद हर घड़ी मैं उसे I
चले तो गए कुछ एक वो बहाना बना कर I
पर दिल से निकाल ना पाएगी वो मुझे I

खुद की नाराज़गी से पहले मनाया था उसे I
अपना दर्द भुला कर हँसाया था उसे I
अब दिल के आँगन में उसकी यादें खेलती हैं ।
और सीने को मेरे हर रोज खरोंचती हैं ।

गलतफहमी की बाढ़ बहा ले गई जो उसे ।
एक कहीं किनारे छोड़ गई वो मुझे ।
ये बाढ़ जब थमेगी एक रोज ।
पलट कर उसकी नज़रे ढूँढेगी सिर्फ मुझे ।

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4 OCT 2020 AT 23:59

एक ख्वाब सा लगता था तेरा साथ ।
ना रहीं बातें और ना कोई मुलाकात ।
अब यादें ही बची हैं ।
बस थामा है यादों ने मेरा हाथ ।

कुछ मीठी तो कुछ अनकही सी ।
यादें बस दिल में कहीं दबी हुई सी ।
छोडा जो तुने मेरा साथ ।
बस थामा है यादों ने मेरा हाथ ।


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28 SEP 2020 AT 21:35

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19 SEP 2020 AT 13:57

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