कोई शख्स जहां में ना था जो मुड़कर देख लेता
दिल ना जाने मेरा कब से किसी के इंतजार में था-
लम्हों ने खता की थी
सदियों ने सजा पाई
एक ही उम्र मिली थी
मैंने वो जिंदगी भी गंवाई-
तेरे इश्क के मारे है हम
अब कहां तुझको तलाशेंगे
तेरे दिन तो कट जाएंगे मगर
हम इस दिल को कैसे संभालेंगे-
एक अरसे बाद आज मेरा दिल की गली से गुजरना हुआ
कंबख्त आज भी दिल में यही कह दिया कहो कैसे आना हुआ-
किसी शख्स को फिक्र करते देख
किसी अपने के चोट खाने की
हमारी तो बस तमन्ना ही रही
किसी की ख्वाहिश होती हमें भी पाने की-
इस जमाने का आखिर क्या बिगड़ जाता
तेरा नाम अगर मेरे नाम के साथ जुड़ जाता-
एक उम्र के बाद दिखी तो आज भी जानी जानी सी लगती है
क्यों मुझे मेरी आंखें आज भी पानी पानी सी लगती है-
एक उम्र तनहा गुजारनी है
मैं ये क्या करने चला हूं
ज़ख्मो की तो बस शुरुआत है
मैं तो अभी से मरने लगा हूं-
आज पास है तो कल शायद मुझसे दूर होगा
ये इश्क ही है जो तेरे बाद भी तेरा तसव्वुर होगा-
मिलो दूर बैठा वो शख्स कितना करीब है
इन फासलों के बावजूद वो मेरा ज़हनसीब है
इस जमाने ने मेरा उसे होने ना दिया
जो उसकी लकीरो मैं होगा वो कितना खुशनसीब है-