सोचो
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ओ लड़की वालों...
केवल शादी तक मत सोचो
शादी के बाद की सोचो।
जो दूल्हे राजा रूठ गए
लड़की क्या खायेगी सोचो।
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ओ लड़के वालों...
नए सदस्य के स्वागत की सोचो
प्यार बांटने की बाबत सोचो।
उनने बेटी दी है, तुमने बेटा देना है
अगर तैयार हो तो शादी की सोचो।-
मकान–दुकान बेचकर
आप ये वस्त्र
घर वाली के लिए खरीद सकते हैं
इसलिए ज्यादा टेंशन ना लें।
टेंशन ये हो सकती है
कि तब शायद आपको
नौकरी से भी छुट्टी लेनी पड़े
क्योंकि इसे पहनाने और पकड़ने के लिए
एक बंदा भी तो चाहिए।-
ईवीएम उवाच
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ईवीएम कहे कांग्रेस से
आ गले लगा ले मोहे।
मैं जन की उंगली पे नाचूं
वो कमल चुने या तोहे।
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कर्नाटक जैसा आगे भी लड़
दूं यही सलाह मैं तोहे।
जीत का सेहरा किसी को दे दे
पर हार का ना दे मोहे।-
कभी–कभी
मन बहुत उलझ जाता है
इस प्रश्न से
कि अपनी असली समस्या क्या है?
पहले पुतिन और जेलेंस्की को गरियाऊं
या पहलवानों का विवाद सुलझाऊं।
द केरला स्टोरी सुनाऊं
या मणिपुर की हिंसा में कूद जाऊं।
पाकिस्तान के हालात पर चिंता जताऊं
या नेताओं की नौटंकी पर नजर गड़ाऊं।
फिर पत्नी हाथ में सूची सौंपती है
और साथ ही सूचित भी करती है
कि रात को रोटी तभी बनेगी...
तब, तुरंत, सारे जाले साफ हो जाते हैं
और हम बाजार को निकल जाते हैं।-
लड़कों की मंडली में इन दिनों
बड़ा खुसर–फुसर चल रिया है
सुना है लड़कियों को आजकल
मुंडा दाढ़ी वाला जंच रिया है।
तभी मैं कहूं कि लड़कों में
फैशन अजीब क्यों चल रिया है
कि दाढ़ी तो बढ़ रही है मगर
बंदा छाती–टांग की सेविंग कर रिया है।
अनुष्का के विराट पर मरने के
कई कारण रहे होंगे
मगर अपने पड़ोस का राजू
दाढ़ी–दाढ़ी ही रट रिया है।-
अनोखा स्वाद, कड़वा संदेश
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उनकी जिंदगी में
ईश्वर का दिया सब कुछ था।
नाम, पैसा, प्रशंसक, सब कुछ।
बस कुछ फिल्मी सितारों की तरह
'अनोखे स्वाद' की कमी थी।
सो वे उठे और अनोखा स्वाद लेकर
कड़वा संदेश देने लगे
कि हे भारत के युवाओं!
ऐश करने के लिए तो यहां हम हैं ही।
तुम सब गुटखा, तंबाकू, पान मसाला लो
और अपनी जिंदगी को भाड़ में झोंको।
सलाम सनी! सलाम सहवाग!-
सड़कों का जाल बनाके
आदमी इतरा रहे हैं।
चार पहियों पे लोहा सजा के
बेहोश भागे जा रहे हैं।
हवा से बातों की कोशिश में
गले मौत को लगा रहे हैं।
कत्ल सुर्खियों में अब कम हैं
दहशत हादसे फैला रहे हैं।
ताकि ललनाएं मर जाएं उन पे
लाल फर्राटा लगा रहे हैं।
इसी सनक में लगातार वो
लाल सड़कों को बना रहे हैं।-
सुना है तुम्हें, आग का बहुत शौक है
तो चूल्हे जलाओ...रोटी मिलेगी।
लेकर थोड़ी सी ज्वाला
सीने में सुलगाओ...सूरत बदलेगी।
आग नफरत की हो, या हो युद्ध की
इसे मत भड़काओ...जिंदगी जलेगी।
लाशों के ढेर और उजड़े आशियाने
लक्ष्य मत बनाओ...मानवता सिसकेगी।
सब मिट गए, जीत का दम भरने वाले
उनकी कब्रों पर जाओ... राख ही मिलेगी।-
सबसे सरल
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प्रेम में
चांद–तारे तोड़कर लाने का वादा
किया था, कोशिश भी की, पूरा ना हुआ।
निराश न हों, आप इससे भी आगे जाइए
कुछ ठोस आजमाइए।
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याद है सिरदर्द था आपको
हाथ बढ़ाया पत्नी ने।
टूटा बटन कमीज का
हाथ बढ़ाया पत्नी ने।
थके हारे पहुंचे आप
चाय थी उसके हाथों में।
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आपका हाथ कहां है?
अगर टूटा नहीं है तो आगे बढ़ाइए
और प्रियतमा को पूरी पाइए।-
दिल्ली वाले
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नाम के हिसाब से तो
दिल्ली वाले लड़के
दिल वाले होने चाहिए थे।
पर ये दिल में दंभ भी तो पाले हैं
इसलिए इनके खेल निराले हैं।
एक को आश्रम जाने के बाद
थोड़ा गंभीर होना चाहिए था।
दूसरे को नेता बनने के बाद
थोड़ा विराट हृदय।
लेकिन क्या करें
ईश्वर ने सफलता दे दी
मगर पचाने की ताकत नहीं दी।-