Lata Poudel   (लता देवी पौड़ेल)
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DOB 15 September
Joined 26 August 2020


DOB 15 September
Joined 26 August 2020
7 JUL AT 22:50

इश्क़ ने दस्तक

इश्क़ ने दस्तक दी चुपचाप से,
न साँसें थमीं, न कोई आवाज़ थी।
बस दिल के किसी कोने में,
एक हल्की सी हलचल आज भी थी।

मन उस दिन भी अजीब था,
ना रोया, ना मुस्कुराया, बस ख़ामोश था।
उसकी नज़रों ने कुछ कहा भी नहीं,
फिर भी सबकुछ बयाँ हो गया था।

ना उसने कुछ माँगा, ना मैंने दिया,
पर दोनों के बीच कुछ बंध सा गया।
शब्द नहीं थे, फिर भी कहानी बन गई,
ख़ामोशी ही सबसे प्यारी जुबाँ बन गई।

इश्क़ आया था, पर बिना हलचल के,
जैसे हवा का कोई नम सा झोंका।
छू गया, बीत गया, पर पीछे
एक पूरा जीवन बदल गया।

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7 JUL AT 22:27


फिर सावन आया झूम के

फिर सावन आया झूम के,
बादल बरसे धूम के।
प्यासी धरती मुस्काई है,
हर बूँद में जान समाई है।

काले बादल छाए नभ में,
बिजली हँसी खुले सब जब में।
खेतों ने ओढ़ी हरियाली,
नाच उठी फिर ग्राम की गली।

बीजों में अब आस जगी है,
सूखे मन में प्यास बगी है।
हल उठाए किसान सजे हैं,
मेहनत के संग सपने बुनें हैं।

बूँदों ने जब चूमा मिट्टी को,
बज उठे मन के भी सितारों को।
महक उठा है आँगन प्यारा,
सावन लाया फिर से सहारा।

अब फसलें लहराएंगी,
खुशियाँ घर-आँगन लुटाएँगी।
बच्चों की हँसी में रंग भरेगा,
हर कोना प्रेम से झरेगा।

फिर सावन आया झूम के,
नव जीवन के साज से,
घनघोर घनघोर धूम के।

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20 JUN AT 23:39

रात क्यों खामोश है

रात क्यों ख़ामोश है, ये सवाल उठता है,
चाँद की रौशनी में भी अंधेरा छिपता है।
सितारे टिमटिमा कर कुछ कहते हैं,
पर जवाब में हर साज़ ख़ामोशः रहते हैं।

क्या ये भी किसी दर्द को सहती है?
या हर राज़ को अपने दिल में रखती है?
आँखें बंद कर जब सब सो जाते हैं,
तब ये गहरी चुप्पी से बातें कर जाती है।

शायद इसे भी किसी का इंतजार है,
या थककर खुद से ही कुछ नाराज है।
रात क्यों ख़ामोश है, ये रहस्य है गहरा,
जो हर दिल में भर देता है सन्नाटा ठहरा।

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20 JUN AT 23:26

समाज के नियम

समाज के हर नियम को मैं आँकती हूँ,
सत्य और न्याय की कसौटी पर परखती हूँ।
जो सही हैं, उन्हें निभाती हूँ पूरी लगन से,
जो गलत हैं, उन्हें ठुकराती हूँ सयंम और वचन से।

परंपराएँ जो विकास का मार्ग बनती हैं,
वही मेरे आदर्श का आधार बनती हैं।
पर जो रूढ़ियाँ इंसानियत को झुकाएँ,
उन्हें बदलने की मशाल उठाएँ।

मैं झुक नहीं सकती झूठ के वजन तले,
न सह सकती हूँ अन्याय के बोझ तले।
सच की राह मेरी पहचान है,
हर संघर्ष से लड़ने का अभिमान है।

गलत को तोड़, नई राह बनानी है,
सही को थाम, मिसाल जगानी है।
समाज के नियम बदलें वक्त के साथ,
सत्य और प्रेम ही बनें हर रिश्ते की बात।



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20 JUN AT 22:26

एक प्याली चाय

गर्मी हो या फिर सर्दी,
बस एक प्याली चाय मिल जाए,
तो जान में जान आ जाती है।
दिल-दिमाग हो जाए चुस्त-दुरुस्त,
और सारी थकान मिट जाती है।

भाप उठती कप से जैसे,
जीवन में नया जोश भर जाती है।
मीठा-तीखा अदरक का स्वाद,
हर गम को पल में भुला जाती है।

साथ में हो दोस्त, तो बात बन जाए,
या अकेले ही पी लो, तो भी सुकून आ जाए।
चाय का जादू ऐसा होता है,
हर घूँट से दिल बहल जाता है।

चाहे दिन हो या फिर रात,
एक प्याली चाय का अपना अंदाज़।
थकावट का इलाज और खुशियों का खजाना,
चाय से बेहतर कोई साथी न जाना।

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20 JUN AT 22:17

सजना-सँवरना

सजना-सँवरना अच्छा लगता है मुझे,
इसलिए न वक्त देखती हूँ, न हालात।
ये भी भूल जाती हूँ कि सफर में हूँ अभी,
बीच रास्ते में सफर रोककर,
खुद को सँवारने लग जाती हूँ।

हवा में उड़ते बालों को थामकर,
आइने से बातें करने लगती हूँ।
जो भी राहगीर देखे मुझे,
उसकी नजरों में मुस्कान भरने लगती हूँ।

कदम थम जाते हैं,
पर दिल की धड़कन बढ़ जाती है।
सजने-सँवरने की ये आदत,
जिंदगी में रंग भर जाती है।

हर सफर मेरा खास बन जाता है,
चाहे रास्ता लंबा हो या छोटा,
सजना-सँवरना तो बस,
मुझे अपना सा लगता है।

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20 JUN AT 22:08

अनंत प्रतीक्षा

पता नहीं...
तुम आओगे या नहीं,
फिर भी,
हर सुबह उम्मीद का एक दिया जलाती हूँ,
ठंडी हवा में तुम्हारा स्पर्श ढूँढ़ती हूँ,
रात के तारों से पूछती हूँ,
जैसे उन्होंने तुम्हें देखा हो कहीं।

पता नहीं...
तुम आओगे या नहीं,
पर हर कदम चलने से रोक देती हूँ,
मन की संवेदनाओं को
बेबाक होकर बिखेर देती हूँ,
फिर भी तुम हो इतने दूर,
कि मेरी नजरें भी तुम्हें छू न सकें।

पता नहीं...
तुम आओगे या नहीं,
फिर भी बीते पलों की यादों को
आग की तपिश में जलाती हूँ,
लेकिन वो तपिश भी
सिर्फ धुएँ में बदल जाती है।

पता नहीं...
तुम आओगे या नहीं,
फिर भी ये दिल तुम्हारा इंतजार करता है,
जैसे समंदर की लहरें
हर बार किनारों को छूने को मचलती हैं।

पता नहीं...
तुम आओगे या नहीं,
फिर भी जीवनभर की प्रतीक्षा है,
जहाँ अंत तो है,
पर वो अब भी बस कल्पना में खोया है।

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20 JUN AT 21:50

साथ तेरा

सूरज की पहली किरण सा उजाला हो तुम,
चांदनी रातों का ख्वाब निराला हो तुम।
हर धड़कन में बसती है तस्वीर तुम्हारी,
मेरी दुनिया का सबसे हसीन हिस्सा हो तुम।

तेरे बिना ये मौसम भी अधूरा लगे,
तेरे साथ हर लम्हा गुलाबी लगे।
मेरी बातों में घुलती है खुशबू तेरी,
सांसों में बसी मधुर मिठास लगे।

चलो बाँध लें ये वादा उम्र भर का,
हर मोड़ पर साथ थामें रहना।
तेरी हंसी मेरी जन्नत बनी रहे,
तेरी बाहों में मेरा जहां सजा रहे।

मेरा हाथ थामे रहना, हर घड़ी,
तू मेरी आरज़ू, मेरा ख्वाब सदी।
सिर्फ एक बात दिल से कहती हूँ,
तू है मेरी मोहब्बत, ये हर लम्हा कहती हूँ।

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20 JUN AT 21:47

तेरे हाथों का स्पर्श

मेरे बालों को सहलाकर बांध देना,
हर उलझन को सुलझा कर सजा देना।
तेरे नर्म हाथों की वो हल्की छुअन,
जैसे दिल को छू जाए कोई मधुर अमन।

जब उंगलियाँ तेरी मेरे बालों में डूबती हैं,
सांसें धीमी, ख्वाब रंगीन से लगते हैं।
हर गिरती लट को तू प्यार से थाम लेता है,
जैसे मेरे हर दर्द को तू अपने नाम लेता है।

तेरा यूँ करीब आकर एहसास देना,
जिंदगी को फिर से सांस देना।
बस यूँ ही पलकों पर ख्वाब सजाना,
और मुझे अपने इश्क़ से महकाना।

तेरे हाथों की गर्मी में है वो बात,
जो हर सर्द मौसम को कर दे बरसात।
तो ऐसे ही हर पल मुझे छूते रहना,
मेरे बालों को सहलाकर बांधते रहना।

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20 JUN AT 21:37

🌿 मेहंदी वाले कदमों के साथ 🌿

मेहंदी वाले कदमों संग छोड़ा
बाबुल की ममता भरा आंगन।
सजी थी डोली, गूंज रहीं थीं
शहनाई की मधुर धुन संगम।

साजन के संग गृहलक्ष्मी बन,
आया एक नया संसार।
रिश्तों के पावन बंधन में,
सौंपा मुझे जीवन उपहार।

क्षण भर में छूटा आँचल सुहाना,
छूटा बाबुल का साया।
आँखों में सपने थे,
पर दिल को ख़ाली पाया।

हर कदम पर याद आए वो आँगन,
जहाँ थी बातें निराली।
अब इस नए जीवन को सजाना है,
पिया संग हर राह निभानी है।

तुलसी बनकर इस आंगन को महकाना,
हर अंधियारे को दूर भगाना।
संस्कारों की मूरत बन,
हर फर्ज को सजीव कर दिखाना।

ये सफर कठिन, पर यही पहचान है,
नारी के सम्मान का अभिमान है।
हर दर्द में छिपी है मुस्कान,
हर रिश्ते में बसा है अपनापन।

मेहंदी वाले कदमों से शुरू हुई यात्रा,
बन गई है जीवन का सबसे सुंदर सपना।

✍️लता पौड़ेल
गांगमौथान असम

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