Lalit Vyas Pandey  
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Joined 10 March 2018


Joined 10 March 2018
18 MAR 2024 AT 9:19

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14 MAR 2024 AT 13:36

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13 JUN 2022 AT 7:12

आशंकित है सूरज चांद, सितारे आसमान में।
लड़ाई चल रही है जो, खुदा में और भगवान में।

बयानबाजी, पत्थरबाजी, दोनो नहीं संभल रहे।
हमदर्दी मर गई है अब ,इंसानियत की इंसान में।

जो आया है वो जायेगा,है सबकी एक ही मंजिल।
फिर उलझे क्यों रहते हो, हिंदू में या मुसलमान में।

ये दीमक है तरक्की का , दोनो ही जरा सुन लो।
फिर क्यों झगडे कराते हो, तुम राम या रहमान में।

उधर के घर जलेंगे तो , इधर भी आग आयेगी।
ठंडक मिलेगी फिर सबके, झुलसे अरमान में।

भ्रमित ना हो रहो मिलकर,अमन ही है सुकू असली।
कोई नही कहीं अंतर , खुदा में और भगवान में।

©"ललित की कलम से"

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23 APR 2022 AT 13:14

कुछ किताबें कागज़ की,
तो कुछ तजुर्बों की पढ़ी हमने।
झुकी कमर, धसी आंखें,
कुछ बुजुर्गों की पढ़ी हमने।
"ललित की कलम से"

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12 NOV 2021 AT 22:07

मुश्किलों के आगे, कभी झुका नहीं हूं।
जख्मी हुआ हूं , अभी चुका नहीं हूं।
सफर कठिन है, रुकावटें भी कम नहीं है।
मगर चल रहा हूं, अभी रुका नहीं हूं ।
"ललित की कलम से"

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19 DEC 2021 AT 20:03

कौन कहता है अंधेरे खराब होते हैं,
श्वेत श्याम सब समान हो जाते हैं।
"ललित की कलम से"

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21 NOV 2021 AT 23:48

"सफलता के चरण"
शुरुआत ->विश्वास ->संघर्ष -> धैर्य ->प्रयास ->जिद ->अभ्यास ->निरंतरता -> मूल्यांकन ->संतुलन -> अनुकूलन ->हौसला ->सफलता
"ललित की कलम से"

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20 NOV 2021 AT 22:43

बैलेंस बिगड़ सा गया है, सायकिल का।
खूब लड़खड़ा रही है,,,
देखते है कौन सा रुख लेती है।
"ललित की कलम से"

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20 NOV 2021 AT 8:11

जिंदगी छोटी हो या बड़ी,
ऐसे जियो,
की जिंदगी को फक्र हो की उसने हमें चुना।
"ललित की कलम से"

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19 NOV 2021 AT 8:16

आज हमें देखकर जो मुंह फेर लेते हो तुम,
इस उलफत की लत तो तुम्हीं ने लगाई थी।
"ललित की कलम से"

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