बने रिश्ते,
अक्सर जमीं पर धूल खाते मिलते हैं।-
किसी बगीया में महकते गुलाब सी हो तुम,
पहली बरसात में मिट्टी की खुशबू सी हो तुम,
खेतों में लहराते सरसों सी हो तुम,
सुबह की पहली धूप में आसमान में मंडराते पंछी सी हो तुम,
हिमाचल की वादियों सी मोहक हो तुम,
मैं जिसे देख कर ठहर जाऊ वो शख्सियत हो तुम।
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क्यूँ न हम फिर से बेगाने हो चले,
क्यूँ न हम फिर पहली बार मिले,
रह गयी जो कमी इस मुलाकात में,
क्यूँ न उसे फिर ठीक करे,
जो मिले अबकी बार पहली दफ़ा,
तो क्यूँ न सब मुक्कमल करे।-
see you stressed over small things
see you smiling through out the journey of life-
क्यूँ न तुम रुक जाओ,
क्यूँ न तुम थम जाओ,
थाम के अपना आँचल,
क्यूँ न तुम संभल जाओ।
जो रखे कोई अपनी गंदी नज़र तुम पर,
क्यूँ न तुम उसे जला डालो,
जो कोई छुए तुम्हारे बदन को बिना इज़ाज़त के,
क्यूँ न तुम उसे दफ़न कर दो,
जो करो रूप धारण कोई,
करना तुम माँ काली का,
हो हर शीश धड़ से अलग जो करे
नाजायज़ कोशिश कोई।
क्यूँ न तुम रुक जाओ,
क्यूँ न तुम थम जाओ,
थाम के अपना आँचल,
क्यूँ न तुम संभल जाओ।
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तारीफ़ -ए-हुस्न तो जायज़ लगेगी कुछ वक्त तक,
तारीफ-ए-शख्सियत का मज़ा ही अलग हैं।-
हरे रंग के लिबाज़ में तुम्हें देख कर,
मानो मेरे दिल ने मुझसे कह दिया,
हो अगर कोई अपना तो वो तुमसा हो।-
कड़ाके की ठंड में बैठा मिलूंगा नुक्कड़ वाली चाय की टपरी पर,
ये सर्द मौसम है जनाब और मैं चाय का दीवाना।-
हरयाली , हाँ इसी नाम से बुलाते थे जब तुम छोटी सी थी, मुझे याद मेरे जन्मदिन पर तुमने अपने नन्हे नन्हे हाथों से मुझे केक खिलाया था और मेरे लिए तुम चॉकलेट भी लायी थी। सर्दियां थी और तुमने लाल रंग का स्वेटर ओर उस ओर उसीसे मैच होती टोपी, हाथों में चॉकलेट लिए हुए इधर उधर घूमती रहती हैं।
अब अगर अभी की बात करूं तो बस दिन भर किताबें ओर रसाई में किये गए प्रयोग । सुना है तुम बचपन मे लड़को की पिटाई कर देती थी, अच्छा है, सबक सिखाना चाइए।
आज तुम्हारा ही दिन है,
खूब मज़े करो,
खुश रहो,
हमेसा आगे बढ़ती रहो।
जन्मदिन की ढेर सारी बधाइयां।-